अशोकारिष्ट क्या है और किस काम आती है ?

 परिचय 

अशोकारिष्ट क्या है और किस काम आती है :  इसके नाम में ही इसके सभी गुणों की व्याख्या छिपी है। अशोक+अरिष्ट जिसमें अशोक का मतलब एक ऐसी वस्तु जो शोक रहित कर दे और अरिष्ट का मतलब विभिन्न जड़ी बूटियां को आपस में मिलाकर 3 महीने से 6 महीने तक धूप में फर्मेंटेशन करके बनने वाला मद्य

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अर्थात जड़ी बूटियां की एक ऐसी दारू बनाना जो किसी प्रकार का नशा ना करें और वह दारू एक दवा बन जाए। 

इस प्रकार अशोकारिष्ट अशोक की छाल को विभिन्न जड़ी बूटियां के साथ मिलाकर एक निश्चित समय अवधि में निश्चित प्रक्रिया के द्वारा बनाई गई एक ऐसी दारू है

जो महिलाओं को दवा के रूप में देने पर उनके अंदर स्त्री रोगों से संबंधित समस्या को ठीक करके उनको शोक रहित करती है। 

 इस लेख में हम आपको अशोकारिष्ट के विभिन्न उपयोगों के बारे में बताने जा रहे हैं कि किस प्रकार यह महिलाओं के लिए बड़े ही काम की एक दवा है

तथा इससे महिलाओं के विभिन्न रोगों को सही किया जा सकता है।  आशा करते हैं कि यह लेख आप लोगों के लिए उपयोगी सिद्ध हो। 

आप लोग इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़िए और बताई गई जानकारी के द्वारा लाभ प्राप्त करिए। [अशोकारिष्ट क्या है और किस काम आती है]

 अशोकारिष्ट क्या है और किस काम आती है ?

 

अशोकारिष्ट के घटक 

मुख्य घटक : अशोक की छाल 

अन्य घटक : धातकी अथवा धायफूल ,जीरा ,नागरमोथा,अदरक,दारू हरिद्रा, हरड़ ,बहेड़ा,आंवला,आम की गुठली,अडूसा,चंदन,और गुड़  

अशोकारिष्ट के मुख्य घटक अशोक के बारे में –

इसकी दो प्रजातियां होती हैं। पहली कास्ट दारू जिसको ही लोग अक्सर अशोक का पेड़ समझ लेते हैं। इसके फूल सफेद-पीले अथवा पीले-हरे रंग के होते हैं। 

यह देवदार जाति का वृक्ष होता है और इसकी लंबाई 15 मीटर से लेकर 20 मीटर तक होती है। एक प्रकार से कहें तो यह नकली अशोक का पेड़ है। 

दूसरी प्रजाति है सीता अशोक जो की असली अशोक का पेड़ है। इसके फूल सिंदूरी अथवा लाल रंग के होते हैं इसीलिए इसको हेमपुष्पा के नाम से भी जानते हैं। 

इसके पत्ते जब नए-नए निकलते हैं तो इनका रंग तांबे के रंग का होता है ,इसीलिए इसे ताम्र पल्लवी भी कहते हैं।  बाद में इनका रंग हरा हो जाता है।

इसके फल बड़ी जामुन की तरह होते हैं जो पककर लाल रंग के हो जाते हैं।  इसके पेड़ 8 मीटर से लेकर 9 मीटर तक लंबे होते हैं। 

अंग्रेजी में इसे इंडियन फर , बुद्ध ट्री और इंडियन विलो के नाम से भी जाना जाता है।  लैटिन भाषा में इसे जोनेसिया अशोक कहते हैं।  [अशोकारिष्ट क्या है और किस काम आती है]

अशोकारिष्ट का उपयोग किन-किन रोगों में करते हैं ?

  • गर्भाशय का आगे खिसकना (Prolapse of uterus)
  • श्वेत प्रदर ( Leucorrhoea)
  • बांझपन (Infertility)
  • रजोस्राव या रक्तप्रदर (Menorrhagia)
  • हिस्टीरिया (Hysteria)
  • कष्टार्तव या मासिक धर्म से पहले होने वाला दर्द (Dysmenorrhoea)
  • अंडाशयशोथ (Ovaritis)
  • बुखार (Fever)
  • पीलिया (Jaundice)
  • बवासीर (Piles)
  • रक्तनिष्ठीवन या रक्तपित्त (Hemoptysis)
  • रक्तस्राव (Hematemesis)
  • अपच (Dyspepsia)
  • बच्चेदानी में सूजन 
  • रजनोवृत्ति (menopause)

और पढ़ें : खूनी और बादी बवासीर के लक्षण और उपचार

अशोकारिष्ट के फायदे 

गर्भाशय की विकृतियों को दूर करने में फायदेमंद है अशोकारिष्ट 

शिशु के जन्म के बाद स्त्रियों का गर्भाशय शिथिल हो जाता है। जिसकी वजह से उसमें कई सारे विकृतियां उत्पन्न हो जाती हैं। इन विकृतियों को दूर करना बेहद जरूरी होता है।

क्योंकि इसके कारण फेलोपियन ट्यूब्स में विकृतियां उत्पन्न हो जाती हैं ,गर्भाशय के मुंह पर और जननांग में घाव बन जाते हैं।

इन सभी को ठीक करने में अशोकारिष्ट का उपयोग बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। 

ल्यूकोरिया में अशोकारिष्ट के फायदे 

 अशोकारिष्ट क्या है और किस काम आती है ?

इस रोगों को सामान्य भाषा में सफेद पानी का गिरना भी बोलते हैं। इसमें योनि मार्ग सेलास लास चिकन और चावल के धोवन जैसा सफेद स्राव  होता है जिससे बहुत बदबू आती है।

कभी-कभी इसका रंग काला या लाल अथवा कच्चे मांस के धोवन जैसा भी होता है। यह रोग गलत जीवन शैली के कारण उत्पन्न हुए रक्त दोष के कारण होता है।

इसको ठीक करने के लिए अशोकारिष्ट सबसे उत्तम औषधि है। 

अंडाशयशोथ में अशोकारिष्ट के फायदे 

जो स्त्रियां अत्यधिक सहवास करती है अथवा माहवारी के दिनों में सहवास करती हैं उनके अंडाशय में प्रॉब्लम आ जाती है जिसे हम डिम्बकोश प्रदर भी कहते हैं।

इसके लक्षणों के रूप में पीठ अथवा पेट में दर्द होना , उल्टी होना,योनि मार्ग से पीव आना आदि दिखाई देते हैं।  जैसे-जैसे यह रोग पुराना होता जाता है वैसे-वैसे स्त्रियों की समस्या बढ़ती जाती है। 

इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए सुबह -शाम  भोजन के उपरांत अशोकारिष्ट का सेवन करना चाहिए और इसके साथ दो-दो गोली सुबह -शाम चंद्रप्रभा वटी की लेनी चाहिए।

इससे इस रोग में आराम मिलने लगता है। [अशोकारिष्ट क्या है और किस काम आती है]

जब गर्भाशय आगे खिसक जाए तो उपयोग करें अशोकारिष्ट 

इसके लिए सुबह- शाम भोजन के उपरांत अशोकारिष्ट का सेवन करें और साथ ही साथ 3 ग्राम चंदनादि चूर्ण और 250 मिलीग्राम त्रिवंग भस्म एक गिलास दूध में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। इससे गर्भाशय अपनी जगह पर आने लगता है। 

पीलिया रोग में लाभ उठाएं अशोकारिष्ट का

 अशोकारिष्ट क्या है और किस काम आती है ?

पीलिया रोग से छुटकारा पाने के लिए दो चम्मच अशोकारिष्ट और दो चम्मच लोहासव को आधा कप गुनगुने पानी में मिलाकर सुबह-शाम भोजन के उपरांत प्रयोग में लाना चाहिए।  

और पढ़ें : नीम के प्रयोग से पीलिया में राहत पायें 

मासिक धर्म से पहले शुरू होने वाले दर्द से राहत दिलाये अशोकारिष्ट 

बहुत सी स्त्रियों को मासिक धर्म के दौरान या मासिक धर्म से पहले पेट में बहुत दर्द का अनुभव होता है। इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए अशोकारिष्ट काफी फायदेमंद होता है। 

और पढ़ें :  बाँझपन में मदनफल का उपयोग

रजनोवृत्ति में आराम पहुंच अशोकारिष्ट

रजनोवृत्ति के दौरान स्त्रियों के शरीर में बहुत से हार्मोनल परिवर्तन होते हैं जिसकी वजह से उनको बहुत सी परेशानियों से गुजरना पड़ता है। 

इस दौरान अगर महिला चिकित्सक के परामर्श के अनुसार अशोकारिष्ट का सेवन करती है तो उसे इस समस्या में आराम मिलता है। 

अशोकारिष्ट की खुराक, मात्रा और विधि 

मात्रा : 5 – 10 ml 

अधिकतम मात्रा : 20 ml 

कितनी बार लेना है :  दिन में 3 बार 

समय : भोजन के 10 मिनट बाद 

लेने की विधि : एक चौथाई कप गुनगुने पानी के साथ 

दवा को लेने की अवधि : चिकित्सा के निर्देशानुसार 

 अशोकारिष्ट क्या है और किस काम आती है ?

अशोकारिष्ट के नुकसान 

  • अगर बिना कारण इसका सेवन किया जाए तो मासिक धर्म प्रभावित हो सकता है। 
  • एसिडिटी की समस्या उत्पन्न हो सकती है। 
  • क्योंकि इसके अंदर गुड मिला होता है इसलिए यह मधुमेह के रोगियों को नुकसान पहुंचा सकता है। 
  • अगर सही मात्रा में इसका सेवन न किया जाए तो उल्टी या फिर मतली की शिकायत हो सकती है 

अशोकारिष्ट क्या है और किस काम आती है – FAQ-

अशोकारिष्ट दवा पीने से क्या क्या फायदा होता है?

  अशोकारिष्ट निम्न रोगों में फायदा पहुंचाती है – 

  • श्वेत प्रदर ( Leucorrhoea)
  • बांझपन (Infertility)
  • रजोस्राव या रक्तप्रदर (Menorrhagia)
  • हिस्टीरिया (Hysteria)
  • कष्टार्तव या मासिक धर्म से पहले होने वाला दर्द (Dysmenorrhoea)
  • अंडाशयशोथ (Ovaritis)
  • बुखार (Fever)
  • पीलिया (Jaundice)
  • बवासीर (Piles)
  • रक्तनिष्ठीवन या रक्तपित्त (Hemoptysis)
  • रक्तस्राव (Hematemesis)
  • अपच (Dyspepsia)
  • बच्चेदानी में सूजन 
  • रजनोवृत्ति (menopause)

क्या पीरियड में अशोकारिष्ट पीना चाहिए?

बहुत सी स्त्रियों को मासिक धर्म के दौरान या मासिक धर्म से पहले पेट में बहुत दर्द का अनुभव होता है। इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए  अशोकारिष्ट काफी फायदेमंद होता है। 

अशोकारिष्ट के दुष्प्रभाव क्या हैं?

अगर बिना कारण इसका सेवन किया जाए तो मासिक धर्म प्रभावित हो सकता है। 

एसिडिटी की समस्या उत्पन्न हो सकती है। 

क्योंकि इसके अंदर गुड मिला होता है इसलिए यह मधुमेह के रोगियों को नुकसान पहुंचा सकता है। 

अगर सही मात्रा में इसका सेवन न किया जाए तो उल्टी या फिर मतली की शिकायत हो सकती है 

चेतावनी 

इस लेख में दी गई समस्त जानकारी केवल ज्ञानवर्धन के लिए और आयुर्वेद के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए है। इसका उपयोग करने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। 

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