परिचय
खांसी क्या और कितने प्रकार की है ? इसके कारण और घरेलू उपचार क्या है ? : जब किसी के फेफड़ों में या गले में किसी भी प्रकार की समस्या होती है ,तब फेफड़ों से दबाव के साथ अचानक से हवा बाहर निकलती है, जिसे हम खांसी बोलते हैं।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!खांसी एक ऐसी आम समस्या है जो चाहे बच्चें हो या बड़े हों ,सभी को किसी न किसी वजह से परेशान जरूर करती है। वह परेशानी अच्छे के लिए भी हो सकती है और किसी समस्या के कारण भी हो सकती है।
एक स्थिति में खाँसी समस्या का कारण बनती है और दूसरी में समस्या का निवारण बनती है। अगर किसी कारण वश हमारे गले के द्वारा कुछ हमारे फेफड़ों तक पहुंचता है, जिसका की बाहर निकालना जरूरी है तो वह खांसी के द्वारा बाहर आ जाता है।
इस तरह खाँसी समस्या के निवारण का काम करती है। और समस्या का कारण तब होती है ,जब हमें किसी प्रकार का कोई फेफड़ों में रोग लग जाता है।
यहां पर हम यह भी बोल सकते हैं की खांसी का काम हवा के द्वारा हमारे श्वांसनली में पहुँचने वाले किसी भी ऐसी सामग्री से बचाना होता है जो किसी कारण हमारे फेफड़ों तक पहुंच रही होती हैं।
जो हमारे लिए किसी गंभीर समस्या को उत्पन्न कर सकती हैं। [ खांसी क्या और कितने प्रकार की है ? इसके कारण और घरेलू उपचार क्या है ?]
खांसी मुख्य रूप से दो तरह की होती है।
- सूखी खांसी (अनप्रॉडक्टिव)
- गीली खांसी (प्रोडक्टिव)
प्रोडक्टिव खांसी में जब समस्या गंभीर होती है ,तब या तो खांसी के साथ खून आता है या फिर बलगम बाहर निकलता है।
बलगम एक प्रकार का थूक होता है जो हमारे फेफड़ों द्वारा निकाली गई कोशिकाओं ,म्यूकस और मोटे कणों का एक मिश्रण होता है।
यह पीले रंग का भी हो सकता है , या हरे रंग का हो सकता है या इसके साथ खून मिश्रित हो सकता है या फिर साफ रंग का हो सकता है।
बहुत जोर-जोर से खाँसने से बचना चाहिए। क्योंकि जब बहुत जोर से खाँसते हैं तो कार्टिलेज या फिर यह कहे की पसलियों की मांसपेशियों में खिंचाव हो जाता है।
जिसकी वजह से हम जब भी सांस लेते हैं या फिर सोते वक्त करवट बदलते हैं या फिर से दोबारा खाँसते हैं ,तो छाती में बहुत तेज दर्द होता है।
जिसकी वजह से खांसी से बहुत पीड़ा होती है। लेकिन जो लोग किसी भी तरीके का धूम्रपान करने के आदी होते हैं ,उनको लगातार वर्षों तक धीरे-धीरे खांसी आती रहती है।
जिसकी वजह से उन लोगों को इस तरह की की समस्याओं का पता भी नहीं चलता है। क्योंकि उनका फेफड़ा उसमें ढल चुका होता है। [ खांसी क्या और कितने प्रकार की है ? इसके कारण और घरेलू उपचार क्या है ?]

खाँसी के कारण
जब श्वास नली में किसी कारण जलन होने लगती है तब खांसी आती है। खांसी के संभावित कारण इस बात पर निर्भर करते हैं की खांसी तीव्र है या फिर क्रॉनिक है।
अगर खासी 4 हफ्ते से कम की होती है तो वह तीव्र होती है। और 4 हफ्ते या उससे भी ज्यादा की होती है तो खांसी क्रॉनिक हो जाती है।
तीव्र खांसी के कारण ये हैं –
- क्रोनिक अवरोधक फेफड़ा रोग (COPD) का दौरा
- पोस्टनेसल ड्रिप (नाक से गले के नीचे की ओर स्राव बह कर निकलना)
- ह्रदय का फेल होना
- फेफड़ों में खून का थक्का
- श्वसन तंत्र का ऊपरी संक्रमण (URI)
- सांस द्वारा कोई बाहरी चीज़ ले लेना
- निमोनिया
क्रोनिक खांसी के कारण ये हैं –
- गैस्ट्रोइसोफ़ेजियल रिफ्लक्स
- पोस्टनेसल ड्रिप
- फेफड़ों में कैंसर
- श्वांस नली में जलन
- ट्यूबरक्लोसिस (टी.बी )
- फेफड़ों में फ़ंगल इन्फेक्शन
- ब्लड प्रेशर की एंजियोटेन्सिन-कन्वर्टिंग एंज़ाइम (ACE) इन्हिबिटर नामक दवाओं का उपयोग
- क्रोनिक ब्रोंकाइटिस
- अस्थमा
अगर अस्थमा का कफ वेरिएंट हो तो अस्थमा की वजह से खांसी हो सकती है।
खाँसी के लक्षण
खांसी के कुछ लक्षण चिंता की वजह होती हैं। उनमें शामिल हैं
- खांसी में खून निकलना
- सांस लेने में परेशानी
- इंजेक्शन के द्वारा स्ट्रीट ड्रग्स लेना
- बुखार, जो 1 हफ्ते से भी अधिक समय तक बना रहता है
- ट्यूबरक्लोसिस (टी.बी ) के कारक, जैसे टी.बी के संपर्क में आना, HIV(ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस) संक्रमण होना, या ऐसी दवाएँ लेना जिनसे इम्यून सिस्टम दब जाती है।
- वज़न घटना
अगर लगातार खांसी आ रही हो और उसके साथ वजन लगातार घटता चला जाए तो फिर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
जिन लोगों को बिना चेतावनी संकेत के क्रॉनिक खांसी हो रही होती है , उन्हें डॉक्टर से तुरंत जाकर संपर्क करना चाहिए।
क्योंकि अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो एक-एक दिन की भी देरी उनके लिए घातक सिद्ध हो सकती है।
अगर यह कहा जाए कि बिना जांच के सिर्फ लक्षणों को देखकर ही खांसी से निदान किया जा सकता है तो ऐसा करना या कहना गलत होगा।
क्योंकि कई लक्षण ऐसे होते हैं जिनके आधार पर हम यकीन से यह नहीं कह सकते हैं खांसी का वास्तविक कारण क्या है।
जैसे अगर बलगम को ही लिया जाए तो बलगम हरा हो या पीला हो या फिर गाढ़ा हो या पतला हो ,इसको देखकर यह नहीं कहा जा सकता है कि यह केवल बैक्टीरियल इनफेक्शन ही है।
इसके पीछे और भी कई कारण हो सकते हैं। इसीलिए जांच के द्वारा सही कारण का पता लगाया जाना अति आवश्यक होता है।
इसी प्रकार यदि खांसी के साथ खून आता है तो हम यह नहीं कह सकते हैं कि यह केवल टी.बी की वजह से हो रहा है। इसका एक वजह फेफड़े का कैंसर भी हो सकता है।

इसलिए यह जांच के द्वारा ही पता किया जा सकता है।[ खांसी क्या और कितने प्रकार की है ? इसके कारण और घरेलू उपचार क्या है ?]
संक्रमण की वजह से होने वाली खांसी के निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं –

- नाक से पानी आना
- बुखार
- साइनस में दर्द होना
- शरीर में दर्द
- ठंड लगना
- बलगम निकलना
- खांसते-खांसते उल्टी होना या करने की इच्छा होना।
बिना संक्रमण के होने वाली खांसी के लक्षण –
बिना संक्रमण के होने वाली खांसी बस थोड़े समय के लिए ही होती है। ऐसी खांसी गले में कुछ फँस जाने के कारण अथवा मिट्टी या इसी तरीके का कुछ और गले में चले जाने के कारण होती है।
गीली (प्रोडक्टिव ) खांसी के लक्षण –
- घरघराहट की आवाज के साथ सांस लेना
- खांसी के साथ कफ का निकलना
- सीने में दर्द और जकड़न का एहसास होना
- सांस लेने में कठिनाई महसूस करना
सूखी खांसी या कुक्कुर खांसी के लक्षण
इस खांसी को काली खांसी भी कहते हैं। यह एक सूक्ष्म परजीवी (बोर्डटेल परटयूसिस ) के कारण होती है। जो गले और नाक को शुरुआत में प्रभावित करता है।
यह रोग 2 वर्ष से कम आयु के बच्चों की सांस नली को प्रभावित करता है। यह संक्रमण से फैलने वाला रोग होता है।
जब किसी बच्चे को काली खांसी हो चुकी होती है और कोई बच्चा उसके संपर्क में आता है तो वह भी संक्रमित हो जाता है।
इस खांसी में बच्चों को बार-बार खांसी के दौरे पड़ते हैं। अत्यधिक खांसी हो जाने पर बच्चों को उल्टी भी हो जाती है।
जब काली खांसी का दौरा पड़ता है तो बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होती है। और एक अलग ही तरीके की आवाज आती है।[ खांसी क्या और कितने प्रकार की है ? इसके कारण और घरेलू उपचार क्या है ?]
खाँसी का इलाज
खांसी के उपचार का सबसे अच्छा तरीका है उसके कारण का उपचार करना और उसके कारण का उपचार आयुर्वेद से अच्छा कहीं नहीं हो सकता है।
खांसी को आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां की सहायता से आसानी से सही किया जा सकता है। इसके बारे में विस्तार पूर्वक हम वर्णन करने जा रहे हैं।
इसको आप ध्यान पूर्वक पढ़ें। हो सकता है इस लेख से आपकी किसी प्रकार की कोई सहायता कर सके।
खांसी का घरेलू इलाज करने के उपाय
आप खांसी में ये उपचार प्रयोग कर सकते हैं –
सूखी खांसी में शहद के सेवन से उपचार –
अगर एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच शहद को मिलाकर प्रतिदिन शाम के समय पिया जाए तो सूखी खांसी में बहुत ही लाभ मिलता है।
तुलसी के उपयोग से करें खांसी का उपचार
- तुलसी की पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से खांसी में आराम मिलता है।
- तुलसी की पत्तियों के रस को निकाल कर उसमें अदरक का रस और शहद को मिलाकर चाटने से खांसी में आराम मिलता है।
घरेलू दवा के रूप में अदरक से ठीक करें सूखी खांसी
अदरक को कूटकर उससे रस निकालने और उस एक चम्मच अदरक के रस में शहद मिलाकर उसको चाटें। इससे सूखी खांसी में आराम मिलता है।
बहुत से लोगों को कच्चे अदरक का रस पसंद नहीं होता है और वह उसको पी नहीं पाते हैं। इसके लिए वह कच्ची अदरक को कूटकर उसको एक गिलास पानी में उबालकर उसका काढ़ा बना लें।
जब आधा गिलास पानी शेष रह जाए तो उसको उतार कर उसमें दो चम्मच शहद मिलाकर इसका सेवन करें। इससे सूखी खांसी में आराम मिल जाता है।[ खांसी क्या और कितने प्रकार की है ? इसके कारण और घरेलू उपचार क्या है ?]
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सेंधा नमक से ठीक करें सूखी खांसी
सेंधा नमक के अंदर खनिज तत्व के साथ-साथ औषधीय गुण भी होते हैं। इसीलिए एक गिलास गर्म पानी में थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर उसका गरारा करने से सूखी खांसी में आराम मिलता है।
कच्चे प्याज के रस से ठीक करें खांसी
आधा चम्मच कच्चे प्याज के रस में एक चम्मच शहद को मिला लें और फिर उसका सुबह शाम सेवन करें। इससे खांसी में आराम मिल जाता है।
मुलेठी के उपयोग कर खांसी का इलाज
मुलेठी का प्रयोग सांस की नाली के अंदर के सूजन को कम करने के साथ-साथ कफ को ढीला करने के लिए भी किया जाता है। इसीलिए दो चम्मच मुलेठी के पाउडर को दो से तीन गिलास पानी में डालकर उबालकर उसका कड़ा बना लें।
जिस समय वह उबल रहा हो उस समय इसकी भाप को नाक के सहारे ले तथा इस काढ़े का भी सेवन करें। इससे खांसी में आराम मिल जाता है।
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पुरानी खांसी का उपचार करें गिलोय से
गिलोय का क्वाथ सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से पुरानी से पुरानी खांसी ठीक हो जाती है।
सूखी खांसी में फायदेमंद है अनार
- अगर अनार के छिलकों को सुखाकर उसके एक टुकड़े को मुंह में रखकर उसके रस को धीरे-धीरे चूसते रहते हैं। तो इससे सूखी खांसी में आराम मिल जाता है।
- अगर आपके पास अनार के सूखे हुए छिलके नहीं है। तो आप अनार के रस को ही गर्म कर उसको धीरे-धीरे पिए। तो इससे भी सूखी खांसी में आराम मिलता है।[ खांसी क्या और कितने प्रकार की है ? इसके कारण और घरेलू उपचार क्या है ?]
सरसों के दानों से ठीक करें कफ वाली खांसी
सरसों के दानों में सल्फर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह सल्फर फेफड़ों से कफ को बाहर निकलने में मदद करता है।
इसलिए अगर एक चम्मच सरसों के बीज को एक गिलास गर्म पानी में उबालकर उसको ठंडा कर पिया जाए तो इससे कफ ढीला होकर बाहर निकल जाता है। जिससे खांसी में आराम मिल जाता है।

काली मिर्च के प्रयोग से ठीक करें कफ वाली खांसी
चुटकी भर काली मिर्च के पाउडर में शहद मिलाकर उसको चाटने से कफ बाहर निकलता है और खांसी में आराम मिलता है।
इसके अलावा यदि काली मिर्च के पाउडर को चाय में डालकर चाय बनाई जाए और उसका सेवन किया जाए तो उससे भी खांसी में आराम मिलता है।
हल्दी के इस्तेमाल से होती है खांसी ठीक
- कच्ची हल्दी का एक टुकड़ा लेकर उसको मुंह में रखकर उसकी धीरे-धीरे चूसते हैं तो इसके रस से खांसी में आराम मिलता है।
- एक चम्मच हल्दी के पाउडर और एक चम्मच अजवाइन को दो गिलास पानी के में मिलाकर इसका काढ़ा बनाएं। जब एक गिलास पानी शेष रह जाए तो उसके अंदर आधा चम्मच शहद मिलाकर उसका दिन में सुबह-शाम दो बार सेवन करें तो इससे खांसी जल्दी ठीक हो जाती है।
खांसी में खान पान को लेकर विशेष सावधानी
खांसी हो जाने पर ठंडी तासीर वाले आहार को ग्रहण करने से बचना चाहिए क्योंकि ठंडी तासीर के आहार हमारी खांसी की तीव्रता को और बढ़ते हैं।
इसके अलावा हमें आहार में गर्म व ताजा भोजन का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा लहसुन प्याज का सेवन करना भी खांसी की रोकथाम के लिए फायदेमंद होता है।
क्योंकि यह म्यूकस के उत्पादन को कम कर देता है। दूर या दूध से बने प्रोडक्ट का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह कफ की मात्रा को बढ़ाते हैं।
कफ को बढ़ाने का एक कारक हिस्टामिन होता है। अगर शरीर में हिस्टामिन की मात्रा बढ़ती है तो इससे कफ की मात्रा भी बढ़ने लगती है।
इसलिए हमें ऐसे किसी भी आहार से बचना चाहिए जिसके अंदर हिस्टामिन पाया जाता है। शोध में पाया गया है कि हिस्टामिन ठंडी तासीर वाले फलों में पाया जाता है जैसे केला।[ खांसी क्या और कितने प्रकार की है ? इसके कारण और घरेलू उपचार क्या है ?]
खांसी क्या और कितने प्रकार की है ? इसके कारण और घरेलू उपचार क्या है ?-FAQ-
खांसी में परहेज नहीं करने पर क्या होता है?
खांसी में परहेज करना अति आवश्यक होता है क्योंकि अगर हम खांसी में परहेज नहीं करते हैं तो खांसी ठीक नहीं होती है और यह लंबे समय तक बनी रहती है।
और अगर खासी लंबे समय तक बन जाती है तो हमें गंभीर खतरे उत्पन्न हो जाते हैं।
खांसी होने पर डॉक्टर से कब सम्पर्क करना चाहिए?
अगर खांसी दो हफ्ते से ज्यादा पुरानी हो जाए तो फिर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।क्योंकि यह गंभीर खतरे का संकेत हो सकती है।
खांसी को कब गंभीर समझना चाहिए?
कुछ संकेत ऐसे होते हैं जो खांसी की गंभीरता को दर्शाते हैं। जैसे कि अगर आपको खांसते-खांसते खांसी के साथ खून आने लगे या फिर खांसते- खांसते उल्टी होने लगे।
तो फिर खांसी ज्यादा गंभीर समस्या को दर्शाने लगती है। यह टी.बी के भी लक्षण हो सकते हैं और फेफड़ों के कैंसर के भी। इसीलिए अगर ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाए तो फिर हमें तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए।
खांसी बंद नहीं हो रही है तो क्या करें?
अगर ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाए तो फिर हमें तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए।
बलगम वाली खांसी में क्या नहीं खाना चाहिए?
ठण्डी तासीर का कोई भी फल अथवा ठण्डे खाद्य पदार्थ का सेवा नहीं करना चाहिए।
चेतावनी
इस लेख में दी गई समस्त जानकारी केवल शिक्षा के लिए और आयुर्वेद के प्रति जागरूकता के लिए है। बीमारी होने पर चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।