परिचय
कमरदर्द की दवा पत्रंगासव के उपयोग ,फायदे और नुकसान : अगर कोई महिला अत्यधिक कमरदर्द ,कमजोर बच्चेदानी ,गर्भ न ठहरने ,बार-बार ग़र्भपात हो जाने , मासिक धर्म के रुक-रुक कर आने या मासिक धर्म में भहुत अधिक रक्तस्राव होने , मासिक धर्म के दौरान पेडू में दर्द होने ,ल्यूकोरिया ,एनीमिया जैसे रोगों से पीड़ित रहती हैं तो परेशान होने की जरुरत नहीं है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!आप सभी जानते हैं कि किसी भी औरत की तंदुरुस्ती और सुंदरता उसकी कमर पर निर्भर करती है। कमर जितनी मजबूत ,निरोगी और स्वस्थ रहेगी, उसकी सेहत भी उतनी ही अच्छी बनी रहेगी। और यही वास्तविकता भी है ।
इन सभी बातों को ध्यान रखकर आज हम यहां आपको आयुर्वेद की एक ऐसी दवा के बारे में बताएंगे जो वास्तव में स्त्रियों के लिए पावरफुल टॉनिक है।
जी हाँ उसको आयुर्वेद में पत्राङ्गासव के नाम से जाना जाता है। पत्रांगासव की इन्ही खूबियों के कारण आयुर्वेद में ये कहा गया है कि महिलाओं को साल में दो या तीन बोतल पत्रांगासव की पीनी चाहिए।
क्योंकि पत्रांगासव एक ऐसी चमत्कारिक आयुर्वेदिक औषधि है जो स्त्री रोग संबंधी स्थितियों को ठीक करने में भी मदद करती है। इस प्रकार हम ये भी कह सकते है कि औरतों के अधिकतर रोगों का समाधान पत्राङ्गासव के पास है। [कमरदर्द की दवा पत्रंगासव के उपयोग ,फायदे और नुकसान]
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पत्रांगासव क्या है ?
पत्रांगासव एक विशेष प्रकार का द्रव या आसव है जो विशेष रूप से स्त्रियों के कमर के स्वस्थ्य के लिए एक पावर बूस्टर है।
महिलाओं के लिए पत्रांग का काढ़ा मासिक धर्म को ठीक करने के लिए एक शक्तिशाली औषधि के रूप में दिया जाता है। यह महिलाओं के लिए प्रसव के बाद होने वाली कमजोरी को ठीक करने के लिए एक टॉनिक के रूप में दिया जाता है।
इस दवा का मुख्य घटक पतंगकाष्ठ (पत्रांग )(कैसलपिनिया सप्पन) है।जिसे संस्कृत में पतंगा, पटरंगा, पट्टारंगा, पट्टरांजका, पट्टरान्या, पट्टुरा, रक्तका, रक्तसार, रंजना, रोगकाष्ठ और अंग्रेजी में सप्पन वुड कहते है।
आयुर्वेद में पत्रांग को स्वाद में कसैला , कड़वा और पचने के बाद तीखामन गया है। इसकी तासीर ठंडी होती है। यह कफ और पित्त को संतुलित करता है।
पत्रांगासव के घटक द्रव्य
- पतंगकाष्ठ (पत्रांग )(कैसलपिनिया सप्पन)
- खैरसार (कथ्था )
- अडूसा की जड़ (अधातोडा वासिका)
- सेमल के फूल(बॉम्बैक्स मालाबारिकम)
- अतिबला
- शुद्ध भिलावा (अग्निमुख )
- अनन्तमूल
- श्यामलता (काली अनन्तमूल)
- गुड़हल की कली
- आम की मींगी
- दारुहल्दी (बर्बेरिस अरिस्टाटा)
- चिरायता(स्वर्टिया चिरायता)
- अफीम का जड़ सहित सूखा पौधा (डोडा )
- सफेद जीरा (क्यूमिनम सिमिनम)
- लोहचूर्ण या भस्म
- रसोत
- बेल गिरी(एगल मार्मेलोस)
- खुरासानी अजवाइन (ह्योसायमस नाइजर)
- भृंगराज
- दालचीनी
- केसर
- लौंग
- मुनक्का (विटिस विनीफेरा)
पत्रांगासव का बायोमेडिकल असर
कृमिनाशक: शरीर के आंतरिक परजीवियों को शरीर से बाहर निकालें।
सूजनरोधी: शरीर के सूजन को कम करना।
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एंटीऑक्सीडेंट: मुक्त कणों के ऑक्सीडेंट प्रभाव को खत्म करता है।
एंटीस्पास्मोडिक: शरीर की मांसपेशियों की ऐंठन को समाप्त करता है।
क्षुधावर्धक: भूख को बढ़ाता है।
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विरेचनकर्ता: पेट को साफ़ करने में सहायता करता है ।
पाचक : पाचक।
गर्भाशय टॉनिक: औरतों में प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए टॉनिक का काम करता है।[कमरदर्द की दवा पत्रंगासव के उपयोग ,फायदे और नुकसान]
पत्रांगासव के विभिन्न बिमारियों में उपयोग
प्रदर रोगों में उपयोगी है पत्रांगासव
अगर कोई महिला रक्त प्रदर, श्वेत प्रदर, दर्द के साथ रज निकलना, बुखार , पांडुरोग, सूजन, अरुचि, गर्भाशय के अवयवों की शिथिलता, कमजोरी आदि रोगों से पीड़ित है तो उसको वैद्य के परामर्श से पत्राङ्गासव का प्रयोग करना चाहिए। इसके प्रयोग से इस प्रकार के रोग नष्ट हो जाते हैं।
कमरदर्द को दूर करने के लिए लाभदायक है पत्राङ्गासव
अगर कोई महिला अत्यधिक कमरदर्द से पीड़ित रहती हैं तो परेशान होने की जरुरत नहीं है। आप सभी जानते हैं कि किसी भी औरत की तंदुरुस्ती और सुंदरता उसकी कमर पर निर्भर करती है।
कमर जितनी मजबूत ,निरोगी और स्वस्थ रहेगी, उसकी सेहत भी उतनी ही अच्छी बनी रहेगी। और यही वास्तविकता भी है ।
स्त्रियों के कमरदर्द के लिए पत्राङ्गासव एक पावरफुल टॉनिक है। पत्रांगासव की इन्ही खूबियों के कारण आयुर्वेद में ये कहा गया है कि महिलाओं को साल में दो या तीन बोतल पत्रांगासव की पीनी चाहिए।
गर्भाशय विकारों को दूर करने के लिए पत्रांगासव का उपयोग
यह आसव गर्भाशय के विकारों को दूर करके उसको स्वस्थ्य बनाता है। अगर किसी कारण से किसी महिला का गर्भ नहीं ठहर रहा हो या फिर कुछ समय गर्भ रह कर गर्भपात हो जाता हो तो इस परिस्थिति से निपटने के लिए पत्राङ्गासव का उपयोग करना बहुत ही लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
इसके अतिरिक्त यदि किसी महिला को बार-बार मरा हुआ बच्चा पैदा हो या फिर संतान होते ही मर जाती हो अथवा रोगी संतान पैदा होती हो तो इसमें भी इसके साथ चंद्रप्रभावटी का लगातार कुछ दिन तक वैद्य के परामर्श अनुसार सेवन करते रहने से विशेष फायदा होता है।[कमरदर्द की दवा पत्रंगासव के उपयोग ,फायदे और नुकसान]
कमजोरी को दूर करे पत्रांगासव
यह प्रसव के बाद महिलाओं के शरीर में होने वाली कमजोरी को दूर कर शरीर को ताकत देता है और बीमारी को ठीक करने का काम करता है।
हाजमा ठीक करे पत्रांगासव
यह हाजमा को ठीक कर भूख में सुधार करता है।
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खून की कमी को दूर करेपत्रांगासव
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन और हीमोग्लोबिन (खून) की कमी हो जाती है। इसके प्रयोग से समस्या को दूर किया जा सकता है।
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ल्यूकोरिया में लाभदायक है पत्रांगासव
ल्यूकोरिया और अन्य मासिक धर्म संबंधी समस्याओं के उपचार में लाभकारी होता है।
कृमिनाशक है पत्रांगासव
शरीर के आंतरिक परजीवियों को शरीर से बाहर निकालें।
सूजनरोधी है पत्रांगासव
शरीर के सूजन को कम करता है ।
एंटीऑक्सीडेंट है पत्रांगासव
मुक्त कणों के ऑक्सीडेंट प्रभाव को खत्म करता है।
एंटीस्पास्मोडिक है पत्रांगासव
शरीर की मांसपेशियों की ऐंठन को समाप्त करता है।
क्षुधावर्धक है पत्रांगासव
भूख को बढ़ाता है।
विरेचनकर्ता है पत्रांगासव
पेट को साफ़ करने में सहायता करता है ।
पाचक है पत्रांगासव
पाचन में सुधार करता है।
गर्भाशय टॉनिक है पत्रांगासव
औरतों में प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए टॉनिक का काम करता है।
खुराक
चिकित्सक के परामर्श के अनुसार इसकी मात्रा इस प्रकार है –
अधिकतम मात्रा: 30 ml
खाने के बाद या पहले: खाने के बाद
लेने का तरीका: गुनगुना पानी
दवा कितनी बार लेनी है : दिन में दो बार
दवा लेने की अवधि: 3 महीने
नुकसान
पत्रांगासव के कोई ज्ञात साइड इफेक्ट्स अथवा नुकसान नहीं है | बस इसकी सही मात्रा ली जानी चाहिए।
कमरदर्द की दवा पत्रांगासव के उपयोग ,फायदे और नुकसान | FAQ
Q: महिलाओं के लिए पत्रांगासव कितना लाभदायक है ?
महिला स्वास्थ्य के लिए यह बहुत लाभदायक है |अगर कोई महिला अत्यधिक कमरदर्द ,कमजोर बच्चेदानी ,गर्भ न ठहरने ,बार-बार ग़र्भपात हो जाने , मासिक धर्म के रुक-रुक कर आने या मासिक धर्म में भहुत अधिक रक्तस्राव होने , मासिक धर्म के दौरान पेडू में दर्द होने ,ल्यूकोरिया ,एनीमिया जैसे रोगों से पीड़ित रहती हैं तो इसमें पत्रांगासव बहुत लाभदायक होता है |
Q: क्या पत्रांगासव माहवारी में फायदा करती है?
हाँ ,अगर कोई महिला मासिक धर्म के रुक-रुक कर आने या मासिक धर्म में भहुत अधिक रक्तस्राव होने , मासिक धर्म के दौरान पेडू में दर्द होने जैसे रोगों से पीड़ित रहती हैं तो इसमें पत्रांगासव बहुत लाभदायक होता है |
Q: पत्रांगासव की सेवन की मात्रा कितनी है?
चिकित्सक के परामर्श के अनुसार इसकी मात्रा इस प्रकार है –
अधिकतम मात्रा: 30 ml
खाने के बाद या पहले: खाने के बाद
लेने का तरीका: गुनगुना पानी
दवा कितनी बार लेनी है : दिन में दो बार
दवा लेने की अवधि: 3 महीने
Q: सेवन की सावधानियां क्या है?
पत्रांगासव के कोई ज्ञात साइड इफेक्ट्स अथवा नुकसान नहीं है | बस इसकी सही मात्रा ली जानी चाहिए। अधिकतम 30 मिली से ज्यादा खुराक नहीं लेनी चाहिए |
Q. क्या पत्रांगासव का उपयोग गर्भवती महिला के लिए ठीक है?
चिकत्सक के परामर्श ही इसका सेवन करना चाहिए।
Q. क्या पत्रांगासव का उपयोग स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए ठीक है?
चिकत्सक के परामर्श ही इसका सेवन करना चाहिए।
चेतावनी
इस लेख में दी गयी समस्त जानकारी केवल ज्ञानार्जन और आयुर्वेद के प्रति जागरूकता लिए है। प्रयोग करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
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