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लोहासव सिरप के 12 फायदे ,नुकसान और लेने  की विधि 

Table of Contents

परिचय 

लोहासव सिरप के फायदे ,नुकसान और लेने की  विधि :  इसके नाम में ही इसके सभी गुणों की व्याख्या छिपी है। लौह + आसव  जिसमें लौह का मतलब ऊर्जा (वीर्य और बल) देने वाला और आसव का मतलब विभिन्न जड़ी बूटियां को आपस में मिलाकर उनको उबालकर 3 महीने से 6 महीने तक धूप में फर्मेंटेशन करके बनने वाला मद्य जिसमे प्राकृतिक रूप से 5 % से 10 % तक अल्कोहल होती है  अर्थात जड़ी बूटियां की एक ऐसी दारू बनाना जो किसी प्रकार का नशा ना करें और वह दारू एक दवा बन जाए। इसका वर्णन  प्राचीन आयुर्वेदिक किताब “ बैश्यज्य रत्नावली “ में भी किया गया हैं।

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इस प्रकार लोहासव  , लौह भस्म  को विभिन्न जड़ी बूटियां के साथ मिलाकर एक निश्चित समय अवधि में निश्चित प्रक्रिया के द्वारा बनाई गई एक ऐसी दारू है जो दवा के रूप में देने पर आयरन की कमी से होने वाले रोगों से संबंधित समस्या को ठीक करके शरीर का काया कल्प कर देती है। 

अर्थात लोहासव लोहा से भरपूर एक ऐसा आयुर्वेदिक रस है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से आयरन की कमी से होने वाले रोगों से निपटने के लिए किया जाता है। लोहासव एक प्रकार से  हेमटिनिक है, यानी यह हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में मदद देता है। या हम ये भी बोल सकते हैं की यह हीमोग्लोबिन (जो एक प्रोटीन है)  को बढ़ाने में मदद देता है।

 इस लेख में हम आपको लोहासव के विभिन्न उपयोगों के बारे में बताने जा रहे हैं कि किस प्रकार यह मनुष्यों के लिए बड़े ही काम की एक आयुर्वेदिक दवा है तथा इससे मनुष्यों के विभिन्न रोगों को सही किया जा सकता है। आशा करते हैं कि यह लेख आप लोगों के लिए उपयोगी सिद्ध हो। 

आप लोग इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़िए और बताई गई जानकारी के द्वारा लाभ प्राप्त करिए। [लोहासव सिरप के फायदे ,नुकसान और लेने की  विधि ]

लोहासव के घटक 

मुख्य घटक : लौह भस्म 

अन्य घटक : आंवला ,बहेड़ा ,हरड़,करौंदा, विडन्ग ,पीपली ,काली मिर्च ,सोंठ ,धातकी के फूल ,चित्रक ,अदरक ,नागरमोथा ,अजवाइन ,शहद ,गुड़ ,पानी    

लोहासव  के गुण:

लोहासव का उपयोग इसके निम्नलिखित गुणों के कारण कर सकते हैं:

  • शरीर में आयरन की कमी को दूर करने में मदद मिल सकती है। 
  • खून की कमी से होने वाली कमज़ोरी और चक्कर आने की समस्या को दूर करने में मदद मिलती है।  
  • अस्थमा को ठीक करने में मदद मिल सकती है। 
  • हार्टबीट को ठीक करने में मदद मिल सकती है। 
  • भूख न लगने की समस्या को दूर करने में सहायक हो सकता है।
  • शरीर में ब्लड सर्कुलेशन में मदद मिल सकती है।

लोहासव का उपयोग किन-किन रोगों में करते हैं ?

  • बवासीर (Piles)
  • कब्ज (Constipation)
  • पाचन विकार (Digestive Disorders)
  • पेट के रोग (Abdominal Diseases)
  • लीवर और आंतों की बीमारी (Liver and Intestine Problems) 
  • एनीमिया 
  • जीभ के लिए 
  • मोटापा दूर करने में 
  • साँस फूलने की समस्या 
  • तिल्ली बढ़ जाने पर 
  • खांसी दूर करने के लिए 
  • शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए 

लोहासव के फायदे 

एनीमिया में लोहासव का प्रयोग

लोहासव सिरप के फायदे ,नुकसान और लेने की  विधि

क्योंकि लोहासव का मुख्य घटक लौहभस्म होता है जिसके कारण लोहासव के अंदर प्राकृतिक रूप से प्रोसेस किया हुआ आयरन प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है। जोकि हीमोग्लोबिन की कमी को दूर करने का काम करता है।

एनीमिया अर्थात जिसके शरीर में खून की कमी की समस्या होती है उनको लोहासव का प्रयोग करना चाहिए। एनीमिया की जो समस्या है वो  आजकल के परिवेश में हमारे गलत खान-पान की वजह से बहुत ज्यादा बढ़ गई है।

एनीमिया का मतलब होता है कि शरीर में रेड ब्लड सेल्स की कमी हो जाना। रेड ब्लड सेल्स को बढ़ाने में आयरन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रोल निभाता है। 

औरतें जब गर्भवती होती हैं तो उनके अंदर एनीमिया अर्थात हीमोग्लोबिन की कमी सबसे ज्यादा देखने को मिलती है। 

शरीर में खून की कमी होने का सबसे पहला लक्षण कमजोरी के रूप में ही दिखाई देता है जिसे लोहासव से दूर किया जा सकता है। तो हम कह सकते हैं कि महिला हो या पुरुष हो,  दोनों ही शरीर में खून की कमी ( एनीमिया ) होने की स्थिति में लोहासव का प्रयोग आसानी से कर सकते हैं।  [लोहासव सिरप के फायदे ,नुकसान और लेने की  विधि ]

और पढ़ें : कमरदर्द की दवा पत्रंगासव के उपयोग ,फायदे और नुकसान 

कब्ज़ में लोहासव सिरप के प्रयोग से लाभ 

लोहासव सिरप के फायदे ,नुकसान और लेने की  विधि

हमारे गलत खान-पान और गलत रहन-सहन की वजह से आजकल के परिवेश में कब्ज की शिकायत होना एक आम समस्या बन गई है। इस समस्या को दूर करने में लोहासव बहुत ही फायदेमंद साबित होता है।

क्योकि इसमें त्रिफला के सभी मिश्रण ( आँवला , हरड़ ,बहेड़ा ) मौजूद है। इसीलिए ये त्रिफला की तरह एक रेचक का काम करता है।  इसके लिए लोहासव (15 -25  ML) और  गुनगुने पानी को बराबर मात्रा में मिला लें और दिन में दो बार भोजन के आधा घंटे बाद इसका सेवन करें। इसे पीने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।

स्थिति के अनुसार इसका सेवन केवल  एक बार रात में भी किया जा सकता है।

और पढ़ें :हाइपरएसिडिटी से दिलाये राहत जौ 

लोहासव सिरप बवासीर में है फायदेमंद  

हम सभी जानते हैं कि बवासीर की मुख्य वजह कब्ज है।अगर हमारे शरीर में से कब्ज को ही खत्म कर दिया जाए तो बवासीर भी खत्म हो जाती है। लेकिन अगर शरीर में बवासीर की समस्या उत्पन्न हो गई है तो इसमें लोहासव का प्रयोग फायदेमंद साबित होता है। 

इसके लिए सबसे पहले अगर बवासीर के कारण बहुत अधिक दर्द की समस्या होती है तो इसके लिए हम कामदुधा रस,अर्शकुठार रस,सूरण बटक या बोलबद्ध रस इनमें से कोई भी दवा लेकर पहले तो अपने दर्द को कम करते हैं। 

जब दर्द कम हो जाता है तो उसके बाद लोहासव का सेवन करने से कब्ज टूटने लगती है और फिर बवासीर में राहत मिलने लगती है। [लोहासव सिरप के फायदे ,नुकसान और लेने की  विधि ]

और पढ़ें : खूनी और बादी बवासीर के लक्षण और उपचार

पाचन से जुड़ी बीमारी में लोहासव सिरप के फायदे 

लोहासव का सेवन कब्ज को दूर कर पाचन तंत्र को मजबूत करता है। जिससे पाचन संबंधी समस्याएं कम होने लगती हैं और धीरे-धीरे समय के साथ समाप्त होने लगती है। फिर खुलकर भूख भी लगने लगती है।  

लेकिन इसके लिए यह ध्यान रखना जरूरी है कि इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए सही तरीके का खान-पान और उचित जीवन शैली का अपनाना जरूरी है। 

लीवर में सूजन की समस्या में लोहासव सिरप के सेवन से लाभ 

लोहासव सिरप के फायदे ,नुकसान और लेने की  विधि

कब्ज की समस्या उत्पन्न होने के कारण आँत और लीवर में विषाक्त अपशिष्ट जमा होने लगते हैं। जो धीरे-धीरे हमारे लीवर और आंतों को गंभीर समस्या में डाल देते हैं। जिसके कारण लिवर में सूजन आ जाती है। 

जब लोहासव का प्रयोग किया जाता है तो वह कब्ज को तोड़ देती है जिससे हमारे आँतों में जमा अपशिष्ठ धीरे-धीरे बाहर आने लगता है और इस प्रकार आँत और लीवर की सफाई हो जाती है।

 जिससे लीवर और आँत मजबूत होने की वजह से पाचन तंत्र सुधर जाता है और जब पाचन तंत्र सुधर जाता है तो शरीर में किसी प्रकार का अन्य रोग उत्पन्न नहीं होता। 

और पढ़ें : कब्ज़ में अभयारिष्ट सिरप के प्रयोग से लाभ 

भूख कम लगने की अवस्था में लोहासव का प्रयोग  

लोहासव अपने पाचन और क्षुधावर्धक गुणों के कारण भूख कम लगने की समस्या को दूर करने में  मदद करता है।क्योंकि इसमें त्रिफला के गुण मौजूद हैं। [लोहासव सिरप के फायदे ,नुकसान और लेने की  विधि ]

ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करने में लोहासव है फायदेमंद 

लोहासव के प्रयोग से शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है। इसके अतिरिक्त लोहासव के अंदर घटक के रूप में अजवाइन ,करौंदा और सोंठ मौजूद रहते हैं जो हमारे खून को पतला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और खराब कोलेस्ट्रॉल को भी कम करते हैं। जिसके कारण शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक बना रहता है। 

और पढ़ें : हृदय रोग

जीभ का स्वाद बिगड़ जाने पर प्रयोग करें लोहासव 

जब शरीर में एनीमिया की शिकायत हो जाती है तो जीव का स्वाद भी खत्म हो जाता है अर्थात अगर हम कुछ भी खाते हैं तो हमें उसके स्वाद का पता नहीं चलता है। अगर हम लोहासव का प्रयोग करते हैं तो शरीर से एनीमिया की समस्या खत्म हो जाती है। जिसके कारण जीव की स्वाद ग्रंथि भी ठीक से काम करने लगती है। और जब हम कुछ भी खाते हैं तो हमें उसके स्वाद पता चलने लगता है।  

मोटापा दूर करने में सहायक है लोहासव 

लोहासव के अंदर मौजूद अजवाइन शरीर के अंदर की चर्बी (फैट) को कम करने में सहायक होता है। अगर मोटापे की समस्या से पीड़ित हैं तो लोहासव का प्रयोग करने से इस समस्या को दूर किया जा सकता है। 

और पढ़ें : विभिन्न जड़ी -बूटियों के प्रयोग

सांस फूलने की समस्या को दूर करे लोहासव

जब शरीर के अंदर खून की कमी हो जाती है तो हमारा शरीर कमजोर हो जाता है और इस  परिस्थिति में जब कोई व्यक्ति थोड़ा भी काम करता है तो उसकी सांस फूलने लगती है।

इस समस्या को दूर करने के लिए वैद्य की सलाह से लोहासव का प्रयोग करना चाहिए।

क्योंकि लोहासव के अंदर प्रचुर मात्रा में आयरन मौजूद होता है जो शरीर के अंदर खून की कमी को दूर कर शरीर को मजबूत बनाता है।   जिसकी वजह से थकान नहीं होती है और साँस फूलने की समस्या खत्म हो जाती है। [लोहासव सिरप के फायदे ,नुकसान और लेने की  विधि ]

तिल्ली या प्लीहा (स्प्लीन ) बढ़ जाने पर प्रयोग करे लोहासव

लोहासव सिरप के फायदे ,नुकसान और लेने की  विधि

तिल्ली का काम शरीर के अंदर से डेड रेड ब्लड सेल्स (मृत लाल रक्त कण ) को खत्म करने का होता है। जब तिल्ली बढ़ जाती है तो यह अपना काम ठीक से नहीं कर पाती है। जिसकी वजह से व्यक्ति को बार-बार बुखार आने लगता है।

 तिल्ली का आकार तभी बढ़ता है जब हमारा लिवर फैटी हो जाए या लवर का आकार बढ़ जाए यानी लिवर में सूजन आ जाये।

 लोहासव के प्रयोग से लीवर की सूजन को खत्म किया जा सकता है। जब लीवर की सूजन खत्म हो जाती है अर्थात लीवर ठीक हो जाता है तो तिल्ली का आकार भी ठीक होने लगता है और तिल्ली ठीक प्रकार से काम करने लगती है।

इस प्रकार अगर तिल्ली की समस्या से कोई व्यक्ति पीड़ित हो तो उसको वैद्य के परामर्श से लोहासव  का प्रयोग करना फायदेमंद रहता है।  

शारीरिक कमजोरी को दूर करता है लोहासव 

आयरन हमारे शरीर के अंदर से कमजोरी को दूर करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। क्योंकि लोहासव के अंदर प्राकृतिक रूप से प्रोसेस किया हुआ आयरन प्रचुर मात्रा में उपस्थित रहता है ,जिसके प्रयोग से हमारे शरीर की कमजोरी दूर हो सकती है।  [लोहासव सिरप के फायदे ,नुकसान और लेने की  विधि ]

और पढ़ें : ऊर्जा का स्रोत है अखरोट 

लोहासव की खुराक, मात्रा और विधि 

 मात्रा : 15-25 ml 

अधिकतम मात्रा : 25 ml 

कितनी बार लेना है :  दिन में 2 बार 

समय : भोजन के 30 मिनट बाद 

लेने की विधि : बराबर मात्रा में गुनगुने पानी के साथ 

दवा को लेने की अवधि : चिकित्सा के निर्देशानुसार 

लोहासव के नुकसान 

  • अगर बिना कारण इसका सेवन किया जाए तो महिलाओ का गर्भ प्रभावित हो सकता है। 
  • बिना कारण प्रयोग करने पर कब्ज ,सिर दर्द ,पेट दर्द , दस्त ,उल्टी ,चक्कर आने  की समस्या उत्पन्न हो सकती है। 
  • क्योंकि इसके अंदर गुड मिला होता है इसलिए यह मधुमेह के रोगियों को नुकसान पहुंचा सकता है। 
  • अगर सही मात्रा में इसका सेवन न किया जाए तो उल्टी या फिर मतली की शिकायत हो सकती है।[लोहासव सिरप के फायदे     ,नुकसान और लेने की  विधि ]

लोहासव सिरप के फायदे ,नुकसान और लेने की  विधि – FAQ-

लोहासव में कितना अल्कोहल होता है ?

विभिन्न जड़ी बूटियां को आपस में मिलाकर उनको उबालकर 3 महीने से 6 महीने तक धूप में फर्मेंटेशन करके बनने वाला मद्य है जिसमे प्राकृतिक रूप से 5 % से 10 % तक अल्कोहल होता है।   

आयुर्वेद में हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए सबसे अच्छा सिरप कौन सा है ?

लोहासव में प्राकृतिक रूप से प्रोसेस किया हुआ आयरन प्रचुर मात्रा में होता है क्योंकि इसका मुख्य घटक लौहभस्म होता है। इसमें प्रचुर मात्रा में आयरन होने के कारण यह हीमोग्लोबिन बढ़ाने का सबसे अच्छा सिरप माना जाता है। 

लोहासव दवा पीने से क्या क्या फायदा होता है?

लोहासव  निम्न रोगों में फायदा पहुंचाती है – 

  • बवासीर (Piles)
  • कब्ज (Constipation)
  • पाचन विकार (Digestive Disorders)
  • पेट के रोग (Abdominal Diseases)
  • लीवर और आंतों की बीमारी (Liver and Intestine Problems) 
  • एनीमिया 
  • जीभ के लिए 
  • मोटापा दूर करने में 
  • साँस फूलने की समस्या 
  • तिल्ली बढ़ जाने पर 
  • खांसी दूर करने के लिए 
  • शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए                           

क्या गर्भावस्था के दौरान लोहासव पीना चाहिए ?

अनीमिया की समस्या होने पर वैद्य के परामर्श से गर्भावस्था के दौरान लोहासव का सेवन करना चाहिए।

लोहासव के दुष्प्रभाव क्या हैं?

अगर बिना कारण इसका सेवन किया जाए तो महिलाओ का गर्भ प्रभावित हो सकता है। 

बिना कारण प्रयोग करने पर सिर दर्द ,पेट दर्द , दस्त ,उल्टी ,चक्कर आने  की समस्या उत्पन्न हो सकती है। 

क्योंकि इसके अंदर गुड मिला होता है इसलिए यह मधुमेह के रोगियों को नुकसान पहुंचा सकता है। 

अगर सही मात्रा में इसका सेवन न किया जाए तो उल्टी या फिर मतली की शिकायत हो सकती है। 

चेतावनी 

इस लेख में दी गई समस्त जानकारी केवल ज्ञानवर्धन के लिए और आयुर्वेद के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए है। इसका उपयोग करने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। 

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