परिचय
दशमूल क्वाथ के महत्वपूर्ण फायदे ,नुकसान और लेने की विधि : दोस्तों आज के आधुनिक समय में हम सभी जिस तरह की जीवन शैली को जी रहे हैं उसमे बुखार ,पार्किंसंस रोग, गाउट, मांसपेशियों में ऐंठन,शरीर में दर्द ,अस्थमा, सिरदर्द, प्रसव संबंधी समस्याएं , सूजन ,पीठ के निचले हिस्से(कमर ) में दर्द और तनाव जैसे रोगों का होना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन समस्या तब होती है जब हम इसका सही टाइम पर सही ईलाज नहीं करते हैं।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!उस स्थिति में ऐसे रोग जो शुरू -शुरू में बहुत ही साधारण से लगते हैं वो एक गंभीर रूप धारण कर लेते हैं। लेकिन ऐसे में आप को घबराने की जरुरत नहीं है क्योंकि अब हम जिस आयुर्वेदिक दवा के बारे में बात करने जा रहे हैं वो हमारे शरीर के तीनो दोषों से सम्बंधित सभी रोगों में किसी न किसी रूप के प्रयोग की जाती है।
ये दवा बहुत ही अचूक और रामबाण है। हम बात कर रहे हैं दशमूल क्वाथ की । जैसा की नाम से ही पता चल रहा है दशमूल अर्थात जिसमे दस प्रकार की जड़ों का प्रयोग किया गया हो। दशमूल क्वाथ दस प्रकार की विशेष औषधीय पौधों और वृक्षों की जड़ों का एक ऐसा मिश्रण है जो शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखता हैं ।
दशमूल क्वाथ को एक त्रिदोष नाशक माना जाता है यानी यह हमारे शरीर के तीनों दोषों – वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करता है। ये तीनों दोष हमारे शरीर की विभिन्न क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं क्योंकि इनका असंतुलन कई तरह की बीमारियों को जन्म दे सकता है। दशमूल क्वाथ इन दोषों को संतुलित करके हमें स्वस्थ रखता है।
इसके अतिरिक्त दशमूल क्वाथ शरीर की इम्युनिटी पावर को मजबूत बनाता है जिससे शरीर कई तरह की बीमारियों से सुरक्षित रहता हैं। दशमूल क्वाथ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पूरी तरह से प्राकृतिक है। इसमें किसी तरह के हानिकारक रसायन का प्रयोग नहीं होता है । इसलिए यह उन लोगों के लिए भी सुरक्षित होती है जो अन्य दूसरी दवाओं का सेवन कर रहे हैं।
यदि आप एक स्वस्थ और निरोग जीवन जीना चाहते हैं तो दशमूल क्वाथ के बारे में लिखे गए इस लेख को पूरा पढ़ें। हम आशा करते हैं कि यह लेख आप सभी के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगा।[दशमूल क्वाथ के महत्वपूर्ण फायदे ,नुकसान और लेने की विधि]
दशमूल क्वाथ के मुख्य घटक
इसमें दस प्रकार की असाधारण आयुर्वेदिक जड़ें मिली होती हैं जिनमें से प्रत्येक में अद्भुत गुण मौजूद होते हैं।
इसमें पाँच बड़े पेड़ों की पंचमूल जड़ें शामिल हैं – बेल (बिल्व),वैजयन्ती (Headache Tree), गंभारी, भूत वृक्ष(श्योनाका या दीर्घवृन्त) और पाताल (पाटला या पारल)।
इसमें पाँच छोटी झाड़िंयों की पंचमूल जड़ें शामिल हैं – सालवन(सरिवन), भटकटैया(कटेरी), ध्रुवा(शालपर्णी), पृश्निपर्णी(पिठवन) और गोखरू ।
इस प्रकार हम दशमूल क्वाथ को बृहत पंचमूल और लघु पंचमूल का मिश्रण भी कह सकते है।
दशमूल क्वाथ परम्परागत रूप से केवल इन दस जड़ों से बने चूर्ण के रूप में ही उपलब्ध था । लेकिन जरुरत के मुताबिक इसमें बाद में और भी जड़ी बूटियों को मिलाया गया है। जिसके कारण दशमूल क्वाथ एक उच्च कोटि का एंटी-इंफ्लेमेटरी , एंटीऑक्सीडेंट और एनाल्जेसिक बन जाता है। [दशमूल क्वाथ के महत्वपूर्ण फायदे ,नुकसान और लेने की विधि]
दशमूल क्वाथ के फायदे
आर्थराइटिस (गाउटी आर्थराइटिस,रुमेटीइड आर्थराइटिस,ऑस्टियोआर्थराइटिस)में फायदेमंद है दशमूल क्वाथ
पहले जानें –
गाउटी आर्थराइटिस क्या होता है ?
गाउटी आर्थराइटिस जिसे हम सामान्य भाषा में गठिया भी कहते है एक ऐसी समस्या है जिसमें जोड़ों में बहुत ज्यादा दर्द और सूजन होता है। यह तब होता है जब शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा ज्यादा बढ़ जाती है और ये क्रिस्टल के रूप में जोड़ों में जमने लगती है।
गाउटी आर्थराइटिस में अक्सर रात में अचानक जोड़ों में तेज दर्द होने लगता है। इसमें प्रभावित जोड़ लाल और सूजा हुआ दिखाई देता है। अगर जोड़ को छूते हैं तो बहुत दर्द होता है और प्रभावित जोड़ लाल और गर्म सा महसूस होता है।
आमतौर पर पैर के अंगूठे का जोड़ सबसे पहले प्रभावित होता है लेकिन यह हाथों और घुटनों के जोड़ों को भी प्रभावित कर सकता है।
और पढ़ें : नीलगिरी के तेल के फायदे और नुकसान
और पढ़ें : अश्वगंधारिष्ट के फायदे और नुकसान
और पढ़ें : अशोकारिष्ट क्या है और किस काम आती है
रुमेटीइड आर्थराइटिस क्या है ?
रुमेटीइड आर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है अर्थात यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की अपनी खुद की इम्युनिटी प्रणाली गलती से अपने ही जोड़ों पर हमला कर देती है और जोड़ों को नुकसान पहुँचाने लगती है। जिसके कारण जोड़ों में सूजन, दर्द और कठोरता(जोड़ों का जाम होना) जैसी समस्या होने लगती है।
इस बीमारी के कुछ प्रमुख लक्षण जो सामने आते हैं वो कुछ इस तरह से हैं जैसे –
जोड़ों का दर्द – खासकर हाथों और पैरों के जोड़ों में।
सूजन – जोड़ों के आसपास सूजन होना।
कठोरता (जोड़ों का जाम होना) – सुबह के समय (रात भर लेटने के कारण लंबे समय तक एक ही स्थिति में रहने के बाद) जोड़ों में कठोरता महसूस होती है।
थकान – इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति अक्सर थका हुआ महसूस करते हैं।
बुखार: अक्सर हल्का बुखार होता रहता है।
समझने वाली बात ये है कि रुमेटीइड आर्थराइटिस एक लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है। लेकिन दवाओं और जीवनशैली में बदलाव करके इसे नियंत्रित किया जा सकता है क्योंकि इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। लेकिन इसे प्रबंधित किया जा सकता है।[दशमूल क्वाथ के महत्वपूर्ण फायदे ,नुकसान और लेने की विधि]
ऑस्टियोआर्थराइटिस क्या है ?
ऑस्टियोआर्थराइटिस को जोड़ों का घिसाव भी कह सकते हैं। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है , हमारे जोड़ों में मौजूद लिगामेंट (एक तरह का चिकना पदार्थ) धीरे-धीरे कम होकर घिसने लगता है। इस घिसाव के कारण जोड़ों में दर्द, सूजन और जकड़न की समस्या होने लगती है। आमतौर पर घुटने, कूल्हे, हाथ और रीढ़ की हड्डी के जोड़ ऑस्टियोआर्थराइटिस से प्रभावित होते हैं। उम्र बढ़ना, चोट, अधिक वजन, कुछ बीमारियां और आनुवंशिक कारण ऑस्टियोआर्थराइटिस होने के प्रमुख कारण हैं।
इस बीमारी के कुछ प्रमुख लक्षण जो सामने आते हैं वो कुछ इस तरह से हैं जैसे –
जोड़ों का दर्द – ज्यादा चलने फिरने के बाद (खासकर दिनभर की गतिविधि के बाद दिन के अंत में)
सूजन – प्रभावित जोड़ों में सूजन आ सकती है।
जोड़ों का सख्त होना – रात भर लंबे समय तक एक ही स्थिति में रहने के बाद सुबह उठने पर जोड़ों में सख्तपन महसूस हो सकता है।
जोड़ों में लचीलापन कम होना – प्रभावित जोड़ों को मोड़ना या घुमाना मुश्किल हो सकता है।
हड्डियों में खड़खड़ाहट – अक्सर जोड़ों को हिलाने पर खड़खड़ाहट जैसी आवाज आ सकती है।
आर्थराइटिस में दशमूल क्वाथ का प्रयोग –
सभी प्रकार के आर्थराइटिस रोग में 50 ml दशमूल क्वाथ के काढ़े में 2 ग्राम पीपली चूर्ण को डालकर हल्का गुनगुना करके पियें। [दशमूल क्वाथ के महत्वपूर्ण फायदे ,नुकसान और लेने की विधि]
पेट के ट्यूमर में फायदेमंद है दशमूल क्वाथ
पेट का ट्यूमर तब होता है जब पेट के अंदर असामान्य कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं और एक गांठ का निर्माण करती हैं। ये गांठें छोटी या बड़ी किसी भी साइज की हो सकती हैं और कभी-कभी तो ये कैंसर का कारण भी बनती हैं।
पेट में बनने वाले ट्यूमर के कुछ सामान्य लक्षण इस तरह के होते हैं जैसे –
पेट में दर्द होना – यह दर्द हल्का या तेज हो सकता है और कुछ खाने के बाद बढ़ सकता है।
अपच होना – बार-बार अपच होना, खट्टी डकार आना या जी मिचलाना जैसी समस्या बनी रहती है ।
भूख न लगना या कम लगना – भोजन करने में रुचि कम होने लगना जिसके कारण धीरे-धीरे शरीर का वजन कम होना।
अनजाने में वजन कम होना – अगर आपने अपनी खानपान की आदतों में कोई बदलाव नहीं किया है और फिर भी वजन कम हो रहा है तो यह चिंता का विषय हो सकता है अर्थात ये पेट में ट्यूमर बनने का लक्षण हो सकता है।
खून की उल्टी होना या मल में खून आना – जब पेट का ट्यूमर अपनी गंभीर अवस्था में पहुंच जाता है तो या तो खून की उल्टी होती है या फिर मल में खून आने लगता है। ये पेट में ट्यूमर बनने का बहुत ही गंभीर लक्षण हैं और तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
नीद कम आना या नहीं आना (अनिद्रा) और थकान रहना – पेट के ट्यूमर के कारण आप थका-थका सा महसूस कर सकते हैं और नींद न आने की समस्या हो सकती है।
यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाएँ। क्योंकि जितनी जल्दी आप अपना इलाज शुरू करेंगे उतना ही बेहतर परिणाम होगा।
पेट के ट्यूमर में दशमूल का प्रयोग –
दशमूल गुड़ का सेवन भूख की कमी, पेट दर्द और अपच आदि पेट के रोगों के लिए लाभकारी हाेता है। इसका प्रयोग दिन में दो बार सुबह और शाम को भोजन के बाद करना चाहिए अथवा चिकत्सक के निर्देशानुसार करना चाहिए।[दशमूल क्वाथ के महत्वपूर्ण फायदे ,नुकसान और लेने की विधि]
पेट फूलनें की समस्या को दूर करता है दशमूल क्वाथ
पेट फूलना एक ऐसी स्थिति है जिसमें पेट में गैस भर जाती है और वह फूला-फूला सा महसूस होता है। यह एक बहुत ही आम समस्या है और कई कारणों से हो सकती है। पेट जिस कारण से फूलता है वो होता है –
- बहुत ज्यादा गैस पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना (जैसे कि बीन्स, गोभी, कार्बोनेटेड पेय)
- बहुत तेजी से खाना
- चबाने वाली गम या कैंडी का अधिक सेवन
- तनाव
- कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट्स के कारण
- पाचन तंत्र से जुड़ी कुछ बीमारियां
पेट फूलने के कुछ सामान्य लक्षण इस तरह होते हैं जैसे –
- पेट में दर्द या बेचैनी
- पेट का फूला हुआ महसूस होना
- बार-बार गैस निकलना
- भारीपन का एहसास
- अपच
- मतली
- कब्ज या दस्त
दशमूल गुड़ का सेवन भूख की कमी, पेट दर्द और अपच आदि पेट के रोगों के लिए लाभकारी हाेता है। इसका प्रयोग दिन में दो बार सुबह और शाम को भोजन के बाद करना चाहिए अथवा चिकत्सक के निर्देशानुसार करना चाहिए। [दशमूल क्वाथ के महत्वपूर्ण फायदे ,नुकसान और लेने की विधि]
पीठ के निचले हिस्से में(कमर में) दर्द की समस्या को दूर करता है दशमूल क्वाथ
कमर (पीठ के निचले हिस्से) में दर्द आजकल बहुत आम समस्या बन गई है। यह दर्द हल्के से लेकर बहुत तेज तक हो सकता है। यह दर्द कई कारणों से हो सकता है जैसे कि मांसपेशियों में खिंचाव, हड्डियों की समस्या, डिस्क की समस्या या फिर किसी चोट के कारण।
कमर दर्द के कुछ सामान्य लक्षण जो होते हैं –
दर्द – यह दर्द तेज और चुभने जैसा हो सकता है।
कठोरता – पीठ के निचले हिस्से में कठोरता महसूस हो सकती है खासकर सुबह उठने पर।
गतिविधि करने में दर्द – झुकने पर या उठने-बैठने पर दर्द बढ़ सकता है।
पैरों में दर्द या सुन्नपन्न होना – कभी-कभी दर्द पैरों के निचले हिस्से तक फैल सकता है और पैरों में सुन्नता या कमजोरी महसूस हो सकती है।
इन सभी समस्याओं में दशमूल क्वाथ का सेवन बहुत लाभकारी हो सकता है। दशमूल क्वाथ में सेंधा नमक और जौ 2-2 ग्राम डालकर पीने से लाभ मिल सकता है ।
कमर दर्द में 50 ml दशमूल क्वाथ के काढ़े में 2 ग्राम पीपली चूर्ण को डालकर हल्का गुनगुना करके पियें तब भी लाभ मिलता है । [दशमूल क्वाथ के महत्वपूर्ण फायदे ,नुकसान और लेने की विधि]
श्रोणि और त्रिक क्षेत्रों(टेल बोन) में सूजन में फायदेमंद है दशमूल क्वाथ
टेल बोन(श्रोणि और त्रिक क्षेत्र) हमारे शरीर के निचले हिस्से में स्थित होते हैं। श्रोणि शरीर के निचले हिस्से के अंदरूनी अंगों को सुरक्षित रखता है जबकि त्रिकक्षेत्र श्रोणि के निचले हिस्से में स्थित एक हड्डी का जोड़ है। जब टेलबोन में सूजन हो जाती है तो जो इसके लक्षण महसूस होते हैं वो दर्द ,प्रभावित क्षेत्र का लाल होना ,चलने में कठिनाई ,बैठने में कठिनाई के रूप में दिखाई देते हैं।
सूजन के कई कारण हो सकते हैं जैसे –
संक्रमण – किसी तरह का संक्रमण इसके सूजन का कारण बन सकता है।
चोट –किसी चोट के कारण भी ये सूज सकते हैं।
अन्य बीमारियां – कुछ बीमारियां जैसे कि आर्थराइटिस या फाइब्रोमायल्जिया भी टेलबोन में सूजन का कारण बन सकती हैं।
अगर आपको इन लक्षणों का अनुभव हो रहा है, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और दशमूल क्वाथ का सेवन करना चाहिए जिससे की जल्दी आराम हो सके। इसके लिए –
50 ml दशमूल क्वाथ में 1 gm शिलाजीत और 13 gm चीनी मिलाकर सेवन करने से दर्द और सूजन में फायदा मिल सकता है।
श्वास तंत्र के लिए फायदेमंद है दशमूल क्वाथ
आयुर्वेदिक औषधियों में दशमूल क्वाथ को एक अमृत के समान माना गया है। यह दस जड़ी-बूटियों का एक ऐसा अद्भुत मिश्रण है जो हमारे श्वास तंत्र के लिए बहुत ही लाभकारी होता है।
चलिए जानते हैं कि दशमूल क्वाथ श्वास तंत्र के लिए क्यों फायदेमंद है?
सर्दी-खांसी का है रामबाण ईलाज – सर्दी-खांसी के मौसम में दशमूल क्वाथ का प्रयोग करना बहुत लाभकारी होता है। यह श्वास तंत्र को मजबूत बनाता है जिससे श्वांस तंत्र बीमारियों से बचा रह सके।
श्वांस नली की सूजन को कम करता है – दशमूल क्वाथ में मौजूद जड़ी-बूटियां श्वासनली में होने वाली सूजन को कम करने में बहुत सहायक होती हैं।
बलगम को पतला करता है – इसमें मौजूद जड़ी -बूटियां बलगम को पतला करके उसे बाहर निकालने में मदद करती हैं।
रोग -प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है –दशमूल क्वाथ में मौजूद जड़ी-बूटियां शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर शरीर को कई तरह के संक्रमणों से बचाती हैं।
तनावमुक्त करता है – दशमूल क्वाथ मन को शांत करता है और तनावमुक्त रखता है।[दशमूल क्वाथ के महत्वपूर्ण फायदे ,नुकसान और लेने की विधि]
माइग्रेन की परेशानी को कम करता है दशमूल क्वाथ
दशमूल क्वाथ हमारे शरीर के लिए एक तरह का प्राकृतिक टॉनिक है। ये माइग्रेन के लिए किस प्रकार फायदेमंद है इसको जानते हैं –
माइग्रेन में दशमूल क्वाथ कैसे काम करता है?
शरीर को शांत करता है: दशमूल क्वाथ हमारे शरीर को शांत करने में मदद करता है और तनाव को कम करता है, जो अक्सर माइग्रेन का एक प्रमुख कारण होता है।
सूजन कम करता है: माइग्रेन के दौरान अक्सर सिर में सूजन होती है। दशमूल क्वाथ इस सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।
रक्त संचार सुधारता है: यह हमारे शरीर में रक्त संचार को बेहतर बनाता है जिससे सिर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है और दर्द कम होता है।
कैसे लें दशमूल क्वाथ?
दशमूल क्वाथ को उबालकर पीया जाता है। इसे नियमित रूप से लेने से माइग्रेन के दौरे की तीव्रता और आवृत्ति कम हो सकती है।
10 ml दशमूल क्वाथ में 4 से 5 बूंद गाय का घी और 1 ग्राम नमक मिलाकर दिन में तीन चार बार नाक में 2-2 बूंद डालने पर अधकपारी के दर्द में राहत मिलती है। [दशमूल क्वाथ के महत्वपूर्ण फायदे ,नुकसान और लेने की विधि]
बुखार प्रबंधन में सहायता करता है दशमूल क्वाथ
आयुर्वेद की दुनिया में दशमूल क्वाथ को एक अचूक औषधि माना जाता है। यह दस जड़ी-बूटियों का एक ऐसा अद्भुत मिश्रण है जो कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। इनमें से एक है बुखार।
बुखार में दशमूल क्वाथ क्यों है फायदेमंद?
- प्राकृतिक बुखारनाशक: दशमूल क्वाथ में मौजूद जड़ी-बूटियां शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करती हैं और बुखार को कम करती हैं।
- सूजन कम करता है: बुखार के साथ अक्सर शरीर में सूजन भी होती है। दशमूल क्वाथ सूजन को कम करके आराम पहुंचाता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है: यह क्वाथ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है, जिससे शरीर संक्रमण से बेहतर तरीके से लड़ सकता है।
- शरीर को शक्ति देता है: बुखार के दौरान शरीर कमजोर हो जाता है। दशमूल क्वाथ शरीर को ताकत और ऊर्जा प्रदान करता है।
50 ml दशमूल क्वाथ में 1 ग्राम पिप्पली का चूर्ण मिलाकर पीने से कफ युक्त खांसी, बुखार, पसलियों के दर्द व दमा में आराम मिलता है।
50 ml में दशमूल क्वाथ में पुष्कर मूल चूर्ण 500 ग्राम मिलाकर गर्म-गर्म पानी से खांसी, दमा, पसलियों के दर्द एवं ह्रदय के दर्द ठीक होते है।
पाचन तंत्र को ठीक करता है दशमूल क्वाथ
आयुर्वेद की दुनिया में दशमूल क्वाथ को एक जादुई औषधि माना जाता है। यह कई जड़ी-बूटियों का एक ऐसा मिश्रण है जो हमारे शरीर के लिए अनेक फायदे लेकर आता है। इनमें से एक सबसे महत्वपूर्ण फायदा है हमारे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखना।
कैसे करता है दशमूल क्वाथ पाचन तंत्र को ठीक?
- अग्नि को बढ़ाता है: दशमूल क्वाथ हमारी पाचन शक्ति को बढ़ाता है, जिससे भोजन आसानी से पच जाता है।
- सूजन कम करता है: अगर आपके पेट में सूजन रहती है, तो दशमूल क्वाथ इसे कम करने में मदद करता है।
- पाचन एंजाइमों को बढ़ाता है: यह हमारे शरीर में पाचन एंजाइमों के उत्पादन को बढ़ाता है, जिससे भोजन का पाचन बेहतर होता है।
- कब्ज और दस्त दोनों में फायदेमंद: चाहे आपको कब्ज की समस्या हो या दस्त, दशमूल क्वाथ दोनों ही स्थितियों में राहत दिलाता है।
- आंतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है: यह आंतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाकर हमारे शरीर को पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से अवशोषित करने में मदद करता है।
क्यों है दशमूल क्वाथ खास?
- प्राकृतिक: यह पूरी तरह से प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बना होता है, इसलिए इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं होते हैं।
- समग्र स्वास्थ्य: यह न केवल पाचन तंत्र को बल्कि पूरे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
- आयुर्वेदिक: यह आयुर्वेद की एक प्राचीन औषधि है, जिसका उपयोग सदियों से किया जा रहा है।
दशमूल गुड़ के सेवन से भूख की कमी, पुराना बुखार, पेट दर्द, तिल्ली का बढ़ जाना, ग्रहिणी दोष आदि पेट के रोगों के लिए लाभकारी हाेता है। [दशमूल क्वाथ के महत्वपूर्ण फायदे ,नुकसान और लेने की विधि]
दशमूल क्वाथ दूर करता है कान का बहरापन
दशमूल क्वाथ को लेकर लोगों के बीच में एक सामान्य सोच बन चुकी है कि यह क्वाथ बहरेपन को ठीक कर सकता है। जबकि यह सत्य नहीं है क्योंकि यह मानना ही गलत है कि दशमूल क्वाथ अकेले बहरेपन को पूरी तरह से ठीक कर देता है। हाँ यह जरूर कहा जा सकता है कि दशमूल क्वाथ में मौजूद कुछ जड़ी-बूटियों में सूजन को कम करने और दर्द को कम करने के गुण होते हैं जो कान से संबंधित कुछ समस्याओं में राहत देते हैं।
लेकिन यह ध्यान रखना जरुरी है कि बहरेपन के कई कारण हो सकते हैं। बहरेपन का इलाज एक जटिल प्रक्रिया है और ये कई कारणों पर निर्भर करता है जैसे संक्रमण, उम्र, बहुत ही तेज शोर के संपर्क में आ जाना और अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां । इसीलिए दशमूल क्वाथ सभी प्रकार के बहरेपन के लिए कारगर नहीं हो सकता है ।
दशमूल तेल हल्का गर्म कर कान में डालने से बहरेपन की बीमारी में लाभ होता है।
दशमूल क्वाथ के उपयोग की विधि
दशमूल क्वाथ का प्रयोग दो तरह से किया जाता है। एक तो चूर्ण के रूप में और दूसरा काढ़े के रूप में। दोनों के प्रयोग की सामान्य विधि अलग -अलग होती है।
अगर चूर्ण के रूप में ले रहे हैं तो इसकी 3 से 6 ग्राम की मात्रा को गर्म पानी में मिलाकर भोजन के बाद दिन में दो बार सुबह और शाम को लें।
अगर काढ़े के रूप में ले रहे हैं तो इसकी 30 से 60 मिलीलीटर(जितना चिकत्सक निर्देश दें) की मात्रा को आधा कप गर्म पानी में मिलाकर दिन में दो बार सुबह और शाम को भोजन से आधा घंटा पहले सेवन करें।
दशमूल क्वाथ के नुकसान
अभी तक दशमूल क्वाथ के प्रयोग के नुकसान से सम्बंधित कोई भी साक्ष्य ज्ञात नहीं हैं। लेकिन फिर भी इसको प्रयोग करने से पहले चिकत्सक की सलाह जरूर लें। क्योंकि किसी भी औषधि को बिना कारण प्रयोग नहीं करना चाहिए।
दशमूल क्वाथ के महत्वपूर्ण फायदे ,नुकसान और लेने की विधि -FAQ-
दशमूल क्वाथ किस काम आता है?
दशमूल क्वाथ आर्थराइटिस , पेट के ट्यूमर ,पेट फूलनें की समस्या , पीठ के निचले हिस्से में(कमर में) दर्द की समस्या , श्रोणि और त्रिक क्षेत्रों(टेल बोन) में सूजन में ,श्वास तंत्र के लिए , माइग्रेन की परेशानी , बुखार प्रबंधन में , पाचन तंत्र , कान का बहरापन ठीक करने के काम आता है।
दशमूल काढ़ा कब पीना चाहिए?
दशमूल क्वाथ का सेवन कभी भी खाली पेट नहीं करना चाहिए। खाने के आधा घंटे के बाद इसका सेवन करना किये। लेकिन बिना किसी समस्या के इसका प्रयोग न करे। प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
क्या दशमूल क्वाथ बहरेपन को ठीक करने में मदद कर सकता है?
कुछ आयुर्वेदिक ग्रंथों में दशमूल क्वाथ को कान से संबंधित कुछ समस्याओं में उपयोग करने का सुझाव दिया गया है।
चेतावनी
इस लेख में दी गयी समस्त जानकारी केवल आयुर्वेद के प्रति जागरूक करने और ज्ञानवर्धन के लिए है। इसका प्रयोग करने से पहले आयुर्वेदिक चिक्तिसक की सलाह अवश्य लें।