नीलगिरी के तेल के फायदे और नुकसान : दोस्तों अगर आप मुँहासे, भूख की कमी , अस्थमा, मुंह की बदबू , जलन, दांत में दर्द , सिर की जूँ, सिरदर्द, मसूड़ों की सूजन, श्वांसनली की सूजन (ब्रोंकाइटिस), इन्फ्लूएंजा (फ्लू), बंद नाक, घाव के संक्रमण जैसे रोगों से पीड़ित है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!क्योंकि हम यहां पर आपको नीलगिरी के तेल से इन सब रोगों से कैसे मुक्ति पा सकते हैं ,इसके बारे में बताने जा रहे हैं। आशा करते हैं कि यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा।
लेकिन यहां पर हम आपको विशेष रूप से सावधानी के तौर पर यह चेतावनी देना चाहते हैं कि इसको बच्चों की पहुंच से दूर रखना चाहिए। क्योंकि यह बच्चों को साइड इफेक्ट देता है।
इसके अलावा इसका प्रयोग चिकित्सक की देखरेख में उसके परामर्श के अनुसार ही करना है।
नीलगिरी का तेल कितना प्रभावी है?
आधुनिक चिकत्सा पद्दति के अनुसार तो पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। लेकिन आयुर्वेदिक पद्दति के अनुसार इसका प्रयोग मुँहासे, भूख बढ़ाने, अस्थमा, मुंह की बदबू , जलन, दांत में दर्द , सिर की जूँ, सिरदर्द,
मसूड़ों की सूजन, श्वांसनली की सूजन (ब्रोंकाइटिस), इन्फ्लूएंजा (फ्लू), बंद नाक, घाव के संक्रमण में लाभ देता है अगर इसका प्रयोग वैद्य के परामर्श के अनुसार सही विधि से किया जाये। [नीलगिरी के तेल के फायदे और नुकसान ]
यूकेलिप्टस(नीलगिरि) के तेल को और किन-किन नामो से जाना जाता है ?
यूकेलिप्टस ग्लोब्युलस, यूकेलिप्टस,नीलगिरि, जीवकामु, युकेलिप्टास, युक्कालीमारम,एकलिप्टाह, निलानिर्यसा
सुगंधा पात्रा, ब्लू गम, तैलपर्णाह
नीलगिरी के तेल की प्राप्ति किस पर आधारित है?
वनस्पति(पेड़) आधारित
नीलगिरी के तेल में पाए जाने वाले तत्व और उनकी प्रतिशत मात्रा :
नीलगिरि के तेल में निम्न तत्व पाए जाते हैं :
- नीलगिरी 72.71%
- Α-टेरपाइन 2.54%
- गेरानिल एसीटेट 0.71%
- एल-पिनोकार्वेओल 0.36%
- β-सबिनीन 0.25%
- टेरपिनोलीन 0.19%
- ग्लोबुलोल 2.77%
- एपिलोबुलोल 0.44%
- टेरपीन-4-ओएल 0.34%
- लिनालूल 0.24%
- α-eudesmol 0.39%
- α-टेरपिनोल एसीटेट 3.1%
नीलगिरि(यूकेलिप्टस) तेल के लाभ
हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस (HSV)के कारण होठों के ऊपर होने वाले छालों (cold sore)की पीड़ा को शांत करता है नीलगिरि का तेल
नीलगिरी के तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस (HSV)के कारण होठों के ऊपर होने वाले छालों (cold sore)की पीड़ा को शांत करने में मदद करता है और घाव भरने में मदद करता है।
आप होठों के ऊपर होने वाले छालों के इलाज के लिए इस तेल वाले मलहम और बाम खरीद सकते हैं। आपको इससे जल्दी राहत मिलेगी।
जोड़ों के दर्द से राहत देता है नीलगिर का तेल
विशेषज्ञों का कहना है कि नीलगिरी का तेल जोड़ों के दर्द को कम करने में बेहद कारगर है। आपको बाजार में कई ऐसी ऑइंटमेंट क्रीम मिल जाएंगी जिनमें यह तेल होता है
जिसका उपयोग रूमेटाइड आर्थराइटिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी बीमारिओं के इलाज के लिए किया जाता है।
इसके अलावा यह उन लोगों के लिए भी रामबाण है जो पीठ दर्द से पीड़ित हैं या जो मांसपेशियों या जोड़ों की चोट से उबर रहे हैं।
कुछ भी करने से पहले चिकित्सक से बात करें।[नीलगिरी के तेल के फायदे और नुकसान ]
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अस्थमा के लिए नीलगिरी के तेल के क्या फायदे हैं?
आधुनिक विज्ञान का दृष्टिकोण
नीलगिरी के तेल में एक यौगिक होता है जिसमें सूजन को कम करने का गुण होता हैं। यह सूजन पैदा करने वाले रासायनिक तत्वों को बढ़ने से रोकता है जिससे श्वांसनली की सूजन कम हो जाती है।
और दमा के रोगी के लिए सांस लेना आसान हो जाता है। इस प्रकार यह पुराने ब्रोन्कियल अस्थमा को ठीक करने में उपयोगी हो सकता है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
आयुर्वेद के अनुसार, अस्थमा होने का मुख्य कारण वात और कफ दोष का असंतुलन हैं। दूषित ‘वात’ फेफड़ों में दूषित ‘कफ’ के साथ मिलकर सांस की नली में रुकावट पैदा करता है।
इससे सांस लेने में समस्या उत्पन्न होने लगती है। इस स्थिति को ही अस्थमा कहते है।
छाती पर और पीठ पर नीलगिरी का तेल लगाने से कफ शांत होता है और फेफड़ों में जमा बलगम बाहर निकलने लगता है। इससे अस्थमा में आराम मिलने लगता है।
लेने का तरीका :
- सबसे पहले नीलगिरी के तेल की 2-4 बूंदें लेते हैं ।
- अब उसमे 1-2 चम्मच नारियल तेल का तेल मिलाकर पतला कर लेते हैं।
- इसके बाद अस्थमा राहत पाने के लिए छाती और पीठ पर मालिश करते हैं।[नीलगिरी के तेल के फायदे और नुकसान ]
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सांस की नली में सूजन (ब्रोंकाइटिस) और इस्नोफीलिया के लिए नीलगिरी के तेल के लाभ
आधुनिक विज्ञान का दृष्टिकोण
नीलगिरी का तेल में सूजनरोधी और एलर्जीरोधी गुण मौजूद होता है। जिसके कारण यह श्वांसनली के सूजन को कम करने में उपयोगी हो सकता है।
सूजन से होने वाली बिमारियों का मुख्य कारण नाइट्रिक ऑक्साइड होता है। नीलगिरी का तेल इसके बनने को रोकता है।
नाइट्रिक ऑक्साइड की वजह से ही ब्रोंकाइटिस के लक्षण जैसे लगातार खांसी जिसके कारण सांस लेने में कठिनाई होती है ,उत्पन्न होता है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
आयुर्वेद में इस रोग को कासरोग कहते है। नीलगिरी के तेल से मालिश करने से बलगम जमा होना कम हो जाता है। जिसके कारण सूजन कम हो जाती है और साँस लेने में कठिनाई नहीं होती है।
लेने का तरीका :
- सबसे पहले नीलगिरी के तेल की 2-4 बूंदें लेते हैं ।
- अब उसमे 1-2 चम्मच नारियल तेल का तेल मिलाकर पतला कर लेते हैं।
- इसके बाद साँस लेने में कठिनाई से और इस्नोफीलिया राहत पाने के लिए छाती और पीठ पर मालिश करते हैं।
सर्दी के कारण बंद नाक (बंद नाक) के लिए नीलगिरी के तेल के फायदे
आधुनिक विज्ञान का दृष्टिकोण
इसके पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध तो नहीं हैं,लेकिन कुछ शोधों के अनुसार नीलगिरी का तेल सर्दी के साथ-साथ साइनस कंजेशन के कारण नाक जमा होने वाले बलगम को रोकने में उपयोगी हो सकता है।[नीलगिरी के तेल के फायदे और नुकसान ]
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
सर्दी के मौसम में कफ की अधिकता की वजह से बलगम चिपचिपा और गाढ़ा हो जाता है। इससे नाक बंद हो जाती है और साँस लेने में तकलीफ होने लगती है।
नीलगिरी का तेल लगाने अथवा केवल सूंघने मात्र से बलगम पतला हो जाता है। जिसकी वजह से साँस आराम से आती है।
लेने का तरीका :
1. सबसे पहले एक तौलिए में 2-4 बूंदें नीलगिरि के तेल की डालते हैं।
2. फिर अपने चेहरे को उस तौलिए से ढककर 5-10 मिनट तक सांस लेते हैं।
3. नाक की बलगम को बाहर लिकालने के लिए इस प्रयोग को दिन में एक या दो बार करते हैं।
दांतों की पीली मैल के लिए नीलगिरी के तेल के फायदे
नीलगिरी के तेल में जीवाणुरोधी और एंटीप्लाक गुण मौजूद होते हैं। इन गुणों के कारण, यह दांत के ऊपर जमने वाली पीली परत के इकट्ठा होने को रोकने और कम करने में उपयोगी हो सकता है।
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मसूड़ों की सूजन को कम करने के लिए नीलगिरी के तेल के फायदे
मसूड़े की सूजन मसूड़ों में पनपने वाले बैक्टीरिया के कारण होने वाली एक बीमारी है जो मसूड़ों की सूजन का कारण बनती है। नीलगिरी के तेल में जीवाणुओं को पनपने से रोकने का गुण होता है।
इसीलिए नीलगिरि के तेल के प्रयोग से मसूड़ों की सूजन से छुटकारा पाया जा सकता है। [नीलगिरी के तेल के फायदे और नुकसान ]
मुंह से बदबू के लिए नीलगिरी के तेल के फायदे
मुँह की बदबू को नियंत्रित करने के लिए अगर नीलगिरी के तेल से गरारा किया जाता है तो इससे इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
लेने का तरीका :
सबसे पहले सुबह में एक गिलास गर्म पानी में नीलगिरि तेल की 2-4 बूंदें लेते हैं।
उसके बाद इसका गरारा करते हैं।
इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि गरारे वाले पानी को किसी भी हाल में पीना नहीं है।
सर्दी से जुड़े सिरदर्द से राहत लें नीलगिरि के तेल से
आधुनिक विज्ञान का दृष्टिकोण
मेंथा तेल में नीलगिरी के तेल की 2-3 बूंद मिलाकर प्रयोग करने से बहुत अधिक मानसिक रूप से आराम हो सकता है। हालाँकि, यह दर्द को पूरी तरह से ठीक नहीं कर पाता है अगर सिर दर्द की कोई गंभीर वजह हो।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
नीलगिरी के तेल से सर्दी के कारण होने वाले सिरदर्द से राहत मिल सकता है। इस प्रकार के सिरदर्द मुख्य कारण कफ की अधिकता होता है।
नीलगिरी का तेल जब माथे पर लगाया जाये या सूंघा जाये तो कफ संतुलन गुण के कारण इससे बलगम को बाहर करने में मदद मिलती है। जिससे दिमाग को आराम मिलता है।[नीलगिरी के तेल के फायदे और नुकसान ]
लेने का तरीका :
1. सबसे पहले एक तौलिए में 2-4 बूंदें नीलगिरि के तेल की डालते हैं।
2. फिर अपने चेहरे को उस तौलिए से ढककर 5-10 मिनट तक सांस लेते हैं।
3. नाक की बलगम को बाहर लिकालने के लिए इस प्रयोग को दिन में एक या दो बार करते हैं।
और पढ़ें : अर्द्धसीसी दर्द
घाव के संक्रमण के लिए नीलगिरी के तेल के फायदे
नीलगिरी का तेल जीवाणुरोधी होने के कारण घाव को जल्दी भरने में मदद करता है। एलर्जी रोधी और सूजनरोधी होने के कारण सूजन को कम करता है और त्वचा को वापस उसके वास्तविक रूप में लाता है।
लेने का तरीका :
1. सबसे पहले नीलगिरि के तेल की 2-4 बूंद लेते हैं।
2. फिर उसमे 1-2 चम्मच नारियल का तेल मिलाकर पतला करते हैं।
3. अब घाव वाली जगह पर दिन में एक या दो बार लगाते हैं।
सिर की जूँ के लिए नीलगिरी के तेल के फायदे
नीलगिरी के तेल में मौजूद रसायनिक तत्व जूँ के अंडों(किलनी) और जूँ के खिलाफ जहर का काम करते हैं।
सिर पर नीलगिरी के तेल को नारियल के तेल के साथ मिलाकर लगाने पर सिर की जूँ और किलनी समाप्त हो सकती है।
मुँहासे के लिए नीलगिरी के तेल के फायदे
नीलगिरी के तेल को नारियल के तेल के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाने से मुँहासे खत्म होते हैं और चेहरा साफ़ रहता है।
नीलगिरी (यूकेलिप्टस) तेल का उपयोग करते समय बरतने वाली सावधानियां
एलर्जी
त्वचा पर सीधे नीलगिरी के तेल का उपयोग करने से बचना चाहिए। त्वचा पर लगाने से पहले इसमें नारियल का तेल मिलाना चाहिए।
स्तनपान
स्तनपान के दौरान नीलगिरी के तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
गर्भावस्था
गर्भावस्था के दौरान नीलगिरी के तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
[नीलगिरी के तेल के फायदे और नुकसान ]
नीलगिरी के तेल का उपयोग कैसे करें
1. सर्दी-खांसी से आराम के लिए
सबसे पहले नीलगिरी के तेल की 2-4 बूंदें लेते हैं ।
अब उसमे 1-2 चम्मच नारियल तेल का तेल मिलाकर पतला कर लेते हैं।
इसके बाद सर्दी-खांसी से राहत पाने के लिए छाती और पीठ पर मालिश करते हैं।
या
एक कटोरे में गर्म पानी लीजिये।
उस पानी में 2-5 बूंद नीलगिरी के तेल की डाल दीजिये।
कटोरा नाक के पास लेकर चेहरे को तौलिये से ढक लीजिये।
सर्दी, खांसी और नाक बंद से राहत पाने के लिए 5-7 मिनट तक इसकी भाप को सूँघिए ।
2. दर्द से आराम के लिए
पहले नीलगिरी के तेल की 2-4 बूंदें लीजिये।
फिर 1-2 चम्मच नारियल तेल के साथ मिलाकर पतला कर लीजिये।
अब दर्द से आराम पाने के लिए दर्द वाली जगह पर मालिश करिए।
नीलगिरी के तेल के फायदे और नुकसान- FAQ
क्या नहाने के पानी में नीलगिरी का तेल डाल सकते है?
हाँ डाल सकते हैं लेकिन नहाने के पानी में बस 1-2 बूंद ही नीलगिरी तेल की डालें।
लेकिन, नहाने के पानी में तेल मिलाने से पहले ये जानना जरुरी है की ये आपको एलर्जी तो नहीं दे रहा है। इस परीक्षण करने के लिए:
1. सबसे पहले 1 बूंद नीलगिरी के तेल में 1 बूंद नारियल तेल मिलाकर त्वचा पर लगाएं।
2. इसे 15-20 मिनट तक त्वचा पर लगा रहने दें और त्वचा पर किसी भी तरह की जलन पर ध्यान देते रहें।
3. अगर आपको कोई जलन नहीं होती है तो आप नहाने के पानी में नीलगिरि का तेल बेझिझक प्रयोग कर सकते हैं।
नीलगिरि तेल का उपयोग मच्छर निरोधक के रूप में कैसे करते हैं?
स्प्रे बोतल में नीलगिरी का तेल डालकर स्प्रे करने से मच्छर भाग जाते हैं।
सर्दी और नाक बंद होने पर आप नीलगिरी के तेल का उपयोग कैसे करते हैं?
सबसे पहले नीलगिरी के तेल की 2-4 बूंदें लेते हैं ।
अब उसमे 1-2 चम्मच नारियल तेल का तेल मिलाकर पतला कर लेते हैं।
इसके बाद सर्दी-खांसी से राहत पाने के लिए छाती और पीठ पर मालिश करते हैं।
या
एक कटोरे में गर्म पानी लीजिये।
उस पानी में 2-5 बूंद नीलगिरी के तेल की डाल दीजिये।
कटोरा नाक के पास लेकर चेहरे को तौलिये से ढक लीजिये।
सर्दी, खांसी और नाक बंद से राहत पाने के लिए 5-7 मिनट तक इसकी भाप को सूँघिए ।
क्या नीलगिरी का तेल सूंघना सुरक्षित है?
हां,
एक कटोरे में गर्म पानी लीजिये।
उस पानी में 2-5 बूंद नीलगिरी के तेल की डाल दीजिये।
कटोरा नाक के पास लेकर चेहरे को तौलिये से ढक लीजिये।
सर्दी, खांसी और नाक बंद से राहत पाने के लिए 5-7 मिनट तक इसकी भाप को सूँघिए ।
क्या यूकेलिप्टस मनुष्यों के लिए जहरीला है?
हाँ, नीलगिरी का तेल जहरीला होता है। इसका आंतरिक प्रयोग चिकित्सक की देख रेख में करना चाहिए।
क्या नीलगिरी का तेल खटमल हटाने के लिए अच्छा है?
हाँ, यह जीवाणुरोधी के कारण एक कीटनाशक की तरह व्यवहार करता है।
क्या नीलगिरी का तेल बच्चों के लिए सुरक्षित है?
नहीं
क्या आप नीलगिरी का तेल पी सकते हैं?
नहीं, चिकत्सक के परामर्श प्रयोग करें।
बालों के लिए नीलगिरी के तेल के क्या फायदे हैं?
नीलगिरी का तेल बालों को फायदा देता है क्योंकि यह सेरामाइड उत्पादन को उत्तेजित करता है जो बालों के विकास को बढ़ावा देता है।
लेकिन इसका प्रयोग सीधे न करके इसको नारियल तेल के साथ करते हैं।
चेतावनी
इस लेख में दी गयी समस्त जानकारी सिर्फ ज्ञानवर्धन के लिए है।इसका प्रयोग चिकित्सक के परामर्श के अनुसार करना चाहिए।