अश्वगंधारिष्ट के 10 महत्वपूर्ण फायदे और नुकसान 

परिचय

अश्वगंधारिष्ट के फायदे और नुकसान : दोस्तों अगर आप  तनाव, चिंता एवं याददास्त की कमजोरी ,वात ,घुटनों का दर्द, मांसपेशियों का दर्द ,शुक्राणुओं की कमी एवं नपुंसकता ,शारीरिक कमजोरी ,कमजोर इम्युनिटी ,अनिद्रा ,कमजोर पाचन ,भूख न लगना ,माईग्रेन एवं सिरदर्द,प्रसूति के बाद महिलाओं की शारीरिक कमजोरी जैसे रोगों से पीड़ित है तो आप को परेशान होने की जरुरत नहीं है। 

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क्योंकि हम इस लेख में एक ऐसी आयुर्वेदिक दवा के बारे में बताने जा रहे हैं जो आप के इन सभी परेशानियों को अकेले ही समाप्त कर सकने में सक्षम है ,अगर इसका सही तरह  प्रयोग किया जाये। इस चमत्कारिक दवा का नाम अश्वगंधारिष्ट है जो सिरप के रूप में मिलती है।  

अश्वगंधारिष्ट में  मुख्य घटक के रूप में अश्वगंधा होता है जो अपने तनाव-रोधी गुणों के कारण तनाव या चिंता से मुक्ति दिलाने में  सकारात्मक परिणाम देता है।

अश्वगंधा में  एंटीपीलेप्टिक गुण मौजूद होता है जिसके कारण इसके प्रयोग से अपस्मार रोग (मिर्गी ) में भी आराम मिलता है।इसके अंदर हरड़ भी एक घटक के रूप में उपस्थित होता है जिसके कारण अश्वगंधारिष्ट पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में भी मदद कर सकता है।

इसके अंदर सफ़ेद मूसली भी होती है जो शारीरिक कमजोरी को दूर करने में सक्षम होती है। 

अश्वगंधारिष्ट को सही मात्रा में लेने से पुरुषों की यौन दुर्बलता को कम करने में ,यौन विकार जैसे नपुंसकता एवं शुक्राणुओं की कमी को दूर करने में मदद मिल सकती है। इसका वात संतुलन गुण बढ़े हुए वात को संतुलित करने में मदद करता है, जिससे गठिया की समस्या से निजात मिलती है।

अश्वगंधारिष्ट का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना उचित रहता है।

अश्वगंधारिष्ट एक आयुर्वेदिक टॉनिक है। यह शरीर को ताकत(बल ) प्रदान करती है एवं स्वास्थ्य को बनाये रखने में सहायक है | अधिक समय तक बीमार होने के कारण आई कमजोरी में इसे टॉनिक के रूप में भी लिया जाता है |[अश्वगंधारिष्ट के फायदे और नुकसान]

अश्वगंधारिष्ट के फायदे और नुकसान

 

अश्वगंधारिष्ट किससे बना होता है?

अश्वगंधा इसका मुख्य घटक है | इसके अलावा इस सिरप में  विभिन्न जड़ी – बूटियाँ प्रयोग में आती है |

अश्वगंधा , मुसली , हल्दी , दारुहल्दी , मंजिष्ठ , निशोथ , अर्जुन छाल , नागरमोथा , मुलेह्ठी , विदारीकंद , हरड़  , रसना , चित्रक(सिलोन) मूल , अनंतमूल , लाल चन्दन , सफ़ेद चन्दन , वासा , धाय के फूल  , नागकेशर , पिप्पली , सौंठ , काली मिर्च , लौंग , दालचीनी , इलायची , बिरमोली (प्रियंगु) , तेजपता , शहद , गुड़ , पानी 

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अश्वगंधारिष्ट के फायदे 

मानसिक विकार में  

इसका प्रयोग तनाव, चिंता एवं याददास्त की कमजोरी में जैसे रोगों में बहुत ही हितकारी हो सकता है |

प्रयोग विधि 

-15-20 मिलीलीटर या चिकित्सक के निर्देशानुसार 

– समान मात्रा में पानी(गुनगुना हो तो और भी अच्छा )

-इसे दिन में दो बार भोजन के बाद पियें 

अश्वगंधारिष्ट के फायदे और नुकसान

वात के नाश में 

इसके प्रयोग से शरीर में आवश्कता से अधिक वात का नाश होता है | जिससे घुटनों का दर्द, मांसपेशियों का दर्द एवं गठिया के दर्द में  आराम मिलता है। [अश्वगंधारिष्ट के फायदे और नुकसान]

पौरुष रोगों में 

पुरुषों के लिए शक्तिवर्धक के रूप में प्रयोग होती है | जिससे शरीर में बल एवं शक्ति का संचार होता है और शुक्राणुओं की कमी एवं नपुंसकता में फायदा मिलता है | यह वीर्य की वृद्धि के साथ सहवास के समय को भी बढाती है | 

सहवास के तुरंत बाद इरेक्शन का समय कम होना या वीर्य का जल्दी गिरना भी हो सकता है जिसे  ‘शीघ्र डिस्चार्ज या शीघ्रपतन’ भी कहा जाता है। अश्वगंधारिष्ट का सेवन करने से पुरुषों के सहवास के समय को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

इम्युनिटी बूस्टर के रूप में 

इसके प्रयोग से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है | इसीलिए इसे इम्युनिटी बूस्टर भी कहते है | इसके प्रयोग से शरीर में रोगो से लड़ने की शक्ति बढ़ जाती है |

अनिद्रा में लाभ 

अगर इसका सही विधि से प्रयोग किया जाये तो अनिद्रा की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। 

पाचन में सुधार 

अश्वगंधारिष्ट के प्रयोग से पाचन में सुधर होता है | जिससे खुलकर भूख लगती है। 

तंत्रिका तंत्र में सुधार 

अश्वगंधा की उपस्थिति के कारण इसके प्रयोग से तनाव एवं थकान दूर होता है| जिसके कारण तंत्रिका तंत्र की कमजोरी में सुधार होता है | और माइग्रेन और सिरदर्द जैसे रोगों से मुक्ति मिलती है।[अश्वगंधारिष्ट के फायदे और नुकसान] 

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महिलाओं के लिए लाभकारी 

महिलाओं में गर्भकाल के दौरान शारीरिक कमजोरी हो जाती है। वैद्य के परामर्श से इसका प्रयोग करने से इससे निजात मिलता है |

मिर्गी में फायदेमंद 

अश्वगंधारिष्ट मिर्गी में ऐंठन या दौरों को रोकने में फायदेमंद हो सकती है। क्योंकि मिर्गी होने के मूल कारण में तीनों दोष शामिल हैं – 

वात, पित्त और कफ। अश्वगंधारिष्ट अपने त्रिदोष (वात-पित्त-कफ) संतुलन गुणों के कारण इन सभी लक्षणों को रोकने में मदद करता है, जिससे मिर्गी की बीमारी ठीक होने लगती है।

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थकान को दूर करे 

अश्वगंधारिष्ट थकान को रोकने की बड़ी ही कारगर औषधि है। आयुर्वेद के अनुसार, थकान(क्लामा) कफ दोष में असंतुलन के कारण होता है  और अश्वगंधारिष्ट में कफ को संतुलित करने का गुण मौजूद होता है। कफ संतुलन के गुण के कारण ही इसे शक्ति प्रदाता और कायाकल्प करने वाला कहते हैं। 

अश्वगंधारिष्ट के फायदे और नुकसान

अश्वगंधारिष्ट का उपयोग कैसे करें

-15-20 मिलीलीटर या चिकित्सक के निर्देशानुसार 

– समान मात्रा में पानी(गुनगुना हो तो और भी अच्छा )

-इसे दिन में दो बार भोजन के बाद पियें 

सावधानियां

अश्वगंधारिष्ट का उपयोग करते समय निम्न बातों की सावधानियां रखनी चाहिए 

  1. अश्वगंधारिष्ट में गुड़ एक घटक के रूप में होता है जो खून में शुगर  के स्तर को प्रभावित कर सकता है। मधुमेह के रोगियों को अश्वगंधारिष्ट लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
  1. स्तनपान के दौरान इसका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
  1. उच्च रक्तचाप की दवा लेने वाले मरीजों को अश्वगंधारिष्ट का उपयोग करने से पहले चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
  1. गर्भावस्था दौरान इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें।[अश्वगंधारिष्ट के फायदे और नुकसान]

अश्वगंधारिष्ट के फायदे और नुकसान – FAQ 

क्या अश्वगंधारिष्ट की सलाह केवल पुरुषों को दी जाती है?

नहीं, अश्वगंधारिष्ट को कोई भी वयस्क, पुरुष या महिला सही मात्रा और विधि से ले सकता है।

क्या अश्वगंधारिष्ट लेते समय किसी आहार नियम का पालन किया जाना चाहिए?

अश्वगंधारिष्ट लेते समय आहार से सम्बंधित किसी विशेष निर्देश के पालन का उल्लेख आयुर्वेद में नहीं है। ये डॉक्टर द्वारा सलाह पर निर्भर है । 

अश्वगंधारिष्ट का क्या कार्य है?

तनाव, चिंता एवं याददास्त की कमजोरी ,वात ,घुटनों का दर्द, मांसपेशियों का दर्द ,शुक्राणुओं की कमी एवं नपुंसकता ,शारीरिक कमजोरी ,कमजोर इम्युनिटी ,अनिद्रा ,कमजोर पाचन ,भूख न लगना ,माईग्रेन एवं सिरदर्द,प्रसूति के बाद महिलाओं की शारीरिक कमजोरी जैसे रोगों से छुटकारा दिलाना अश्वगंधारिष्ट का काम है। 

क्या मैं प्रतिदिन अश्वगंधारिष्ट ले सकता हूं?

चिकित्सक की सलाह के अनुसार इसका उपयोग जारी रख सकते हैं।

क्या मधुमेह रोगी अश्वगंधारिष्ट ले सकता है?

अश्वगंधारिष्ट में गुड़ एक घटक के रूप में होता है जो खून में शुगर  के स्तर को प्रभावित कर सकता है। मधुमेह के रोगियों को अश्वगंधारिष्ट लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

अश्वगंधारिष्ट के दुष्प्रभाव क्या हैं?

अश्वगंधारिष्ट में गुड़ एक घटक के रूप में होता है जो खून में शुगर  के स्तर को प्रभावित कर सकता है। मधुमेह के रोगियों को अश्वगंधारिष्ट लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

क्या अश्वगंधारिष्ट पाचन के लिए अच्छा है?

इसके अंदर हरड़ भी एक घटक के रूप में उपस्थित होता है जिसके कारण अश्वगंधारिष्ट पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में भी मदद कर सकता है।

क्या अश्वगंधारिष्ट को लंबे समय तक लिया जा सकता है?

अगर आप इसे लंबे समय तक प्रयोग करना चाहते हैं तो डॉक्टर से सलाह लें।

क्या अश्वगंधारिष्ट ऑस्टियोआर्थराइटिस में फायदेमंद है?

इसके प्रयोग से शरीर में आवश्कता से अधिक वात का नाश होता है | जिससे घुटनों का दर्द, मांसपेशियों का दर्द एवं ऑस्टियोआर्थराइटिस(गठिया) के दर्द में  आराम मिलता है। 

क्या अश्वगंधारिष्ट को मल्टीविटामिन के साथ लिया जा सकता है?

मल्टीविटामिन के साथ अश्वगंधारिष्ट लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना उचित है।

मुझे अश्वगंधारिष्ट कब लेना चाहिए?

दिन में दो बार भोजन के बाद लें।  

चेतावनी 

इस लेख में दी गयी जानकारी केवल ज्ञानवर्द्धन और आयुर्वेद के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए है। इसका प्रयोग चिकित्सक की सलाह से करें। 

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